विशेष विमान से। सशस्त्र बलों के पूर्व सर्वोच्च कमांडर एपीजे अब्दुल कलाम के साथ अपनी ‘मित्रता’ को याद करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि देश की रक्षा एवं सुरक्षा की रीढ़ को मजबूत करने के लिए काम करने वाले कलाम कवि हृदय थे।

मुखर्जी ने एक विशेष विमान में राष्ट्रीय राजधानी लौटते समय कहा, ‘‘उन्होंने देश की रक्षा क्षमताओं को बढ़ावा दिया। वह कविताएं लिखते थे। कई बार जब हम अमर जवान ज्योति पर शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देने जाते थे, तो वह एक कविता बनाते थे। वह उस कविता को वहां नहीं सुनाते थे, लेकिन चुपचाप वह कविता दे देते थे। मुझे दो-तीन कविताएं मिलीं।’’

राष्ट्रपति ने कहा कि शुरुआत में जब संप्रग-1 में वह खुद रक्षा मंत्री थे और कलाम सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर थे, तब कलाम के साथ उनका गहरा निजी संवाद था। मुखर्जी ने कहा, ‘‘इसके अलावा, उन्हें ब्रह्मोस मिसाइल में गहरी रूचि थी और उन्होंने मुझसे पूछा था कि इसे कैसे प्रोत्साहित किया जाए। उनके प्रत्यक्ष प्रोत्साहन के कारण अब हमारी तीनों सेवाओं में ब्रह्मोस मिसाइल शालिम हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पहले यह सिर्फ सतह से सतह पर वार करने में सक्षम थी लेकिन अब इसके पास सतह से हवा में, हवा से हवा में और जल से हवा में वार करने की क्षमता है। यह महज एक स्वदेशी क्रूज मिसाइल है। इसे पूरी तरह से उन्होंने और उनके एक सहकर्मी ने ही अंजाम दिया। एस पिल्लई को उन्होंने चुना था।’’

मुखर्जी राष्ट्रीय राजधानी के लिए लौटते समय संवाददाताओं से बात कर रहे थे। कल पूर्व राष्ट्रपति के शिलांग में निधन की खबर सुनने के बाद मुखर्जी ने कर्नाटक में अपने पूर्व नियोजित सभी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया था।

राष्ट्रपति ने दिल्ली हवाईअड्डे पर पहुंचकर आज कलाम को श्रद्धांजलि दी। कलाम का पार्थिव शरीर शिलांग से यहां लाया गया था। कलाम को एक शक्तिशाली मस्तिष्क बताते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘उनके जाने से पैदा हुई रिक्तता को भरा नहीं जा सकता।’’

मुखर्जी ने कहा, ‘‘वास्तव में, जब मैंने खबर सुनी तो मुझे एक तरह की शून्यता का अहसास हुआ। मैंने ऐसी कल्पना नहीं की थी क्योंकि भले ही उनकी उम्र बढ़ रही थी लेकिन वह हमेशा खुशमिजाज, फुर्तीले और होनहार थे। उनके मस्तिष्क ने कभी काम करना बंद नहीं किया था। उनके पास एक शक्तिशाली मस्तिष्क था।’’

जब मुखर्जी से कलाम को ‘लोगों का राष्ट्रपति’ कहकर पुकारे जाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘वह लोगों के राष्ट्रपति थे। अपने राष्ट्रपति काल में भी वह लोगों के राष्ट्रपति थे। उनके निधन के बाद भी वह लोगों के राष्ट्रपति रहेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी राष्ट्रपति को इतना अधिक प्यार नहीं मिला। नेहरू को बच्चों का बहुत अधिक प्रेम और स्नेह प्राप्त था और उनके बाद हमें कलाम मिले। कई बार, जब वह बच्चों के साथ होते थे, तो मुझे लगता था कि वह नेहरू का ही दूसरा रूप हैं। वह हमेशा नए विचारों और नई सोच को प्रेरित करते थे।’’

कलाम के साथ अपनी पहली बातचीत को याद करते हुए मुखर्जी ने कहा, ‘‘डॉ कलाम के साथ मेरी पहली बातचीत उस समय हुई थी, जब वह रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहाकार थे। पोखरण विस्फोट के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी ने कांग्रेस पार्टी के नेताओं को आमंत्रित किया था। वहां मैं, मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी और कुछ अन्य लोग मौजूद थे और विस्फोट के तकनीकी पहलुओं की जानकारी कलाम दे रहे थे। वह एक प्रभावशाली प्रस्तुति थी।’’

राष्ट्रपति ने कहा कि कलाम के साथ उनकी औपचारिक बातचीत वर्ष 2004 के बाद से शुरू हुई, जब वह संप्रग में रक्षामंत्री बने। उनकी यह बातचीत आगे बढ़ी क्योंकि दोनों ही किताबों में गहरी रूचि रखते थे। उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें किताबों से प्यार था और वह उन्हीं के साथ जीते थे। उनकी दुनिया किताबों के इर्द गिर्द थी। मैं हमेशा किताबों से घिरा रहता हूं। इससे इतर वह एक बढ़िया लेखक भी थे। तो यह हम दोनों के बीच की एक समानता थी।’’

कलाम ने मुखर्जी को किताबें लिखने के लिए भी प्रोत्साहित किया था। उन्होंने मुखर्जी से कहा था, ‘‘आपका सृजन आपके पठन की तुलना में काफी कम है।’’

कलाम एक बढ़िया लेखक थे। उनकी कुछ प्रसिद्ध कृतियां हैं- विंग्स ऑफ फायर, इग्नाइटेड माइंड्स, टर्निंग प्वॉइंट्स, मिशन इंडिया:ए विजन फॉर इंडियन यूथ एंड द साइंटिफिक इंडियन। उनकर कविताओं के एक संग्रह ‘द लाइफ ट्री’ भी आ चुका है।