प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की समर्थक मधु पूर्णिमा किश्वर ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है। याचिका में उन्होंने राज्य सभा के सदस्य के रूप में भारत के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नामांकन को चुनौती दी है। मधु किश्वर ने यह याचिका इस आधार पर दायर की है कि ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता’ संविधान की मूल संरचना का एक अनिवार्य हिस्सा है और इसे लोकतंत्र का एक स्तंभ भी माना जाता है।

याचिका में कहा गया, ‘न्यायपालिका की ताकत इस देश के नागरिकों के विश्वास में निहित है। इसिलए कोई भी कार्य जो वर्तमान की तरह न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव डालता है, जैसे पूर्व सीजेआई को राज्यसभा के लिए नामित किया गया, न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला है।’

जनहित याचिका में चिंता जताते हुए कहा गया, ‘भारत के राष्ट्रपति द्वारा राज्य सभा सदस्य के रूप में उनका (गोगोई का) नामांकन इसे एक राजनीतिक नियुक्ति का रंग देता है और इसलिए सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख के अधीन दिए गए निर्णयों की विश्वसनीयता पर संदेह की छाया डालता है।’

किश्वर ने याचिका ऐसे समय में दाखिल की है जब जस्टिस (रिटायर्ड) रंजन गोगोई गुरुवार (19 मार्च, 2020) को राज्यसभा सदस्य के रूप में शपथ लेंगे। सूत्रों ने यह जानकारी दी है। राज्यसभा के सूत्रों ने कहा कि वे गुरुवार सुबह 11 बजे शपथ लेंगे।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सरकार की अनुशंसा पर सोमवार को गोगोई को राज्यसभा के लिये मनोनीत किया था। गोगोई ने अपने कार्यकाल में अयोध्या भूमि विवाद, राफेल लड़ाकू विमान और सबरीमला में महिलाओं के प्रवेश समेत कई अहम मामलों पर फैसला सुनाने वाली पीठ की अध्यक्षता की थी।

गृह मंत्रालय ने सोमवार रात अधिसूचना जारी कर गोगोई को उच्च सदन के लिए मनोनीत करने की घोषणा की थी।