नूपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद साबिह पर विवादित टिप्पणी और उसके बाद भड़की हिंसा, पुलिस कार्रवाई पर हुई डिबेट में यूपी के पूर्व डीजीपी ने कहा कि पत्थर बाजों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। उनकी बात पर AIMIM प्रवक्ता वारिस पठान ने पूछा कि बेकसूर लोगों पर लाठी बरसाने वाले पुलिस कर्मियों का घर कब टूटने जा रहा है।

आजतक पर यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा कि अवकाश प्राप्त न्यायधीशों से उनका सवाल था कि जो पुलिस के जवान पिटे ठुके उनके लिए आपके दिल में कोई पीड़ा नहीं है। लेकिन पुलिस को उनकी दरियादली की कोई जरूरत नहीं है। उनका कहना था कि पुलिस कर्मी कोई पाकिस्तान या चीन से नहीं आए हैं। वो इसी देश के नागरिक हैं। उन पर हमला करने वालों के पासपोर्ट और आर्म्स लाईसेंस भी जब्त किए जाने चाहिए।

बुल्डोजर पर उनका कहना था कि कोई आपकी जमीन पर कब्जा कर ले तो तोड़फोड़ की कार्रवाई होती है। अवकाश प्राप्त न्यायधीशों को कोर्ट में जाकर रिट फाईल करनी चाहिए। पुलिस प्रशासन पर पत्थर चलाने वालों पर कार्रवाई होनी ही चाहिए। उका कहना था कि नूपुर शर्मा पर जो आरोप हैं उसमें अधिकतम सजा दो साल की है। जबकि पुलिस पर पत्थर बरसाकर जख्मी करने वालों को दस साल तक की सजा हो सकती है। लेकिन उनके बारे में कोई कुछ नहीं बोल रहा, क्योंकि वो फैशनेबल नहीं है।

AIMIM प्रवक्ता वारिस पठान ने कहा कि विक्रम सिंह की बातें प्रासंगिक नहीं हैं। उन्होंने हवालात में मुस्लिम युवकों पर लाठियां बरसाने वाले पुलिस कर्मियों पर सवाल उठाए। उनका सवाल था कि नूपुर शर्मा को अभी तक हिरासत में क्यों नहीं लिया जा रहा है। अगर वो फरार है तो रेड कार्नर नोटिस निकाला जाए। सरकार उस पर एक्शन क्यों नहीं ले रही है। उनका कहना था कि लाठी बरसाने वाले जवानों का घर कब टूटेगा।

विक्रम सिंह ने वारिस पठान के आरोप पर कहा कि हवालात में लाठी चलाने वाले जवानों पर एक्शन होना चाहिए। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि जिन आरोपों में सजा सात साल से कम है उनमें गिरफ्तारी से बचना चाहिए। लेकिवन उनका ये भी कहना था कि जिस जिसने अपराध किया है उसके खिलाफ विवेचना कर सजा दी जानी चाहिए।