एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने दिल्ली की ऑक्सीजन आवश्यकता के विषय पर दी गई रिपोर्ट को लेकर जारी विवाद के बीच शनिवार को कहा कि यह अंतरिम रिपोर्ट है और ऑक्सीजन की आवश्यकताएं हर दिन बदलती रहती हैं। गुलेरिया के नेतृत्व में उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित पांच सदस्यीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना विषाणु की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली की ऑक्सीजन आवश्यकता को चार गुना ‘बढ़ा-चढ़ाकर’ बताया गया।
एम्स प्रमुख ने कहा, ‘यह एक अंतरिम रिपोर्ट है और मामला अदालत के विचाराधीन है।’ उन्होंने कहा है कि ऑक्सीजन की मांग पर उपसमिति की रिपोर्ट अभी नहीं आई है। जो मीडिया से पता चला है उसमें दावा किया गया है कि दिल्ली को बिस्तरों की क्षमता के आधार पर 289 टन ऑक्सीजन की जरूरत थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने 1,140 टन ऑक्सीजन की खपत हुई थी। गुलेरिया ने कहा कि यह रिपोर्ट अंतरिम है। ऐसे में उन्हें नहीं लगता है कि हम ऐसा कह सकते हैं कि दिल्ली में ऑक्सीजन की मांग को चार गुना बताया गया। कुछ अन्य डॉक्टरों का कहना है कि घरों में मरीजों के एकांतवास वाले बिस्तरों को इसमें नहीं शामिल किया गया, जबकि घरों में भी बहुत से लोग आक्सीजन सपोर्ट पर थे।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने कहा था कि दिल्ली सरकार ने ‘गलत फॉर्मूले’ का इस्तेमाल करते हुए 30 अप्रैल को 700 मीट्रिक टन मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन के आबंटन के लिए दावा किया। दो सदस्यों दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव (गृह) बीएस भल्ला और मैक्स हेल्थकेयर के क्लीनिकल डायरेक्टर संदीप बुद्धिराजा ने नतीजे पर सवाल उठाए।
भल्ला ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई और 30 मई को उनसे साझा की गई 23 पन्ने की अंतरिम रिपोर्ट पर टिप्पणी की। रिपोर्ट में 31 मई को भल्ला द्वारा भेजे गए पत्र का एक अनुलग्नक है, जिसमें उन्होंने कहा कि मसौदा अंतरिम रिपोर्ट को पढ़ने से यह ‘दुखद रूप से स्पष्ट’ होता है कि उप-समूह कार्य पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय छह मई के उच्चतम न्यायालय के आदेश की शर्तों का पालन नहीं कर पाया।