सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को सूचित करने के लिए कहा कि जब तक अदालत याचिका पर फैसला नहीं लेती है, तब तक कोई निर्णय न लें। कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में एक बेंच गठित की जाए। मामला कल सूचीबद्ध नहीं किया जाएगा। उद्धव के नेतृत्व वाले शिवसेना खेमे ने महाराष्ट्र विधानसभा के नए अध्यक्ष के चुनाव को चुनौती देने वाली सर्वोच्च न्यायालय में अपनी याचिका दायर की है।
महाराष्ट्र में विधायकों की अयोग्यता के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। उद्धव कैंप की तरफ से पैरवी कर रहे सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि कल अयोग्यता का मामला विधानसभा में सुना जाएगा। अगर कोर्ट आज सुनवाई नहीं करता तो कल स्पीकर उसे खारिज कर देंगे। जब तक कोर्ट सुनवाई नहीं करता, तब तक उन्हें निर्णय लेने से रोक दिया जाए। सीजेआई एनवी रमन्ना ने कहा कि स्पीकर को सूचित किया जाए कि वह अभी फैसला न लें। उन्होंने ये भी कहा कि यह समय लेने वाला मामला है। बेंच का गठन तुरंत नहीं हो सकता।
उधर, महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि झिरवल ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर कहा है कि एकनाथ शिंदे और अन्य शिवसेना के बागी विधायकों को अयोग्यता नोटिस जारी करना गलत नहीं है। झिरवाल ने कहा कि अयोग्यता नोटिस का जवाब देने के लिए 48 घंटे का वक्त दिया जाना गलत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अयोग्यता नोटिस पर जवाब के लिए विधायकों को 12 जुलाई तक जवाब देने की मोहलत दे दी थी। साथ ही 27 जून के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर सुनवाई के लिए 11 जुलाई की तारीख तय कर दी थी।
Supreme Court asks Solicitor General to inform Maharashtra Assembly Speaker to not take any decision unless the plea is decided by SC.
SC says this matter will require the constitution of a bench & will take some time to be listed. The matter will not be listed tomorrow.
— ANI (@ANI) July 11, 2022
इससे पहले संजय राउत ने कहा कि जिस तरह से महाराष्ट्र में एक सरकार को थोपा, वह पूरी तरह से अवैध है। यह सरकार संविधान के मुताबिक नहीं बनी है। यह विधायकों के अयोग्य होने का मुद्दा है। सर्वोच्च न्यायालय में एक फैसला हो रहा है, उससे पता चलेगा कि देश में संविधान, क़ानून है या उसकी हत्या हो चुकी है।
ऐसे मामले ने पकड़ा तूल
शिवसेना में बगावत के बाद विधानसभा के डिप्टी स्पीकर ने 16 विधायकों को नोटिस जारी कर उनकी योग्यता पर सवाल खड़े किए थे। इस नोटिस के खिलाफ शिंदे गुट ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। इसी मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दोनों पक्षों को विधायकों की योग्यता-अयोग्यता मामले में किसी भी प्रकार की कार्रवाई से रोक दिया है। उसके बाद के दौर में शिंदे ने देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार बना ली और राहुल नार्वेकर को स्पीकर की कुर्सी पर बिठा दिया। उद्धव के लिए ये झटका था।
उधर, नए स्पीकर ने दोनों पक्षों की शिकायत मिलने पर शिवसेना के दोनों गुटों के 53 विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। सभी को एक सप्ताह के भीतर जवाब देना था। शिवसेना के 53 विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी करने पर पर महाराष्ट्र विधानमंडल सचिव राजेंद्र भागवत ने कहा कि जब भी हमें कोई आवेदन मिलता है तो हमें उस पर कार्रवाई करनी होती है इसलिए प्रत्येक विधायक को नोटिस जारी किया गया है।