रामनवमी पर जेएनयू में भड़की हिंसा के बाद दिल्ली की छात्र राजनीति में सरगर्मी बढ़ गई है। ताजा मामले में लेडी श्रीराम कॉलेज मे बीजेपी प्रवक्ता गुरु प्रकाश पासवान को उस समय शर्मसार होना पड़ा जब आमंत्रित करने के बाद उनका निमंत्रण पत्र रद कर दिया गया। स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया की तरफ से विरोध के बाद ये फैसला लिया गया। एसएफआई माकपा की छात्र विंग है। जो बीजेपी का विरोध करती है।

गुरु प्रकाश का कहना है कि इन टॉलरेंसी की ये हद है। ऐसा नहीं किया जाना चाहिए था। पासवान का कहना है कि बीजेपी से संबद्ध होने के साथ वो अकादमिक बैकग्राउंड से भी आते हैं। ये फैसला सरासर गलत है। वो दलितों के मुद्दे पर बोलना चाहते थे। उनकी आवाज दबाने के लिए ये कदम उठाया गया है।

गुरु प्रकाश पटना विवि के लॉ विभाग में असिस्टेंट पप्रोफेसर हैं। वो दलित इंडिया चेंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के सलाहकार भी हैं। उन्होंने सुदर्शन रामबदरन के साथ मिलकर मेकर्स ऑफ दलित हिस्ट्री किताब भी लिखी है। उन्हें लेडी श्रीराम कॉलेज में 14 अप्रैल को होने वाले प्रोग्राम में आमंत्रित किया गया था।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक उन्हें लेडी श्रीराम कॉलेज की एससी\एसटी सेल ने बुलावा भेजा था। जूम पर उन्हें अंबेडकर बियांड कंस्टीट्यूशन विषय पर भाषण देना था। इस सेल में हर साल चुने जाने वाले छात्र शामिल होते हैं। मंगलवार की सुबह पासवान को बताया गया कि छात्र संघ के विरोध के बाद जो परिचर्चा आयोजित होनी थी उसे रद कर दिया गया है।

पासवान को बताया गया कि कर्नाटक और जेएनयू के मामलों के बाद छात्र संघ ने उन्हें बुलाने पर विरोध जताया था। एलएसआर के छात्र नहीं चाहते कि वो किसी राजनीतिक पचड़े में फंसें। सेल के समन्वयक ने बताया कि शुरू में पासवान को बुलावा भेजने पर किसी को आपत्ति नहीं थी लेकिन बाद में छात्र संघ की तरफ से तीखा विरोध जताने के बाद ये फैसला हुआ।