दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच टकराव का माहौल और गरमा गया है। मंगलवार को फर्जी डिग्री रखने के आरोप में गिरफ्तार दिल्ली के विधि मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर ने देर रात हवालात से ही अपना इस्तीफा दे दिया। उनका इस्तीफा तत्काल प्रभाव से मंजूर कर लिया गया है। इस घटनाक्रम के लिए केजरीवाल सरकार ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। हालांकि केंद्र सरकार ने कहा है कि इस मामले में कानून के तहत कार्रवाई की गई है।

इससे पहले त्रिनगर से विधायक और पहली बार मंत्री बने 49 वर्षीय तोमर को शहर की एक अदालत ने चार दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया था। कुछ घंटे पहले उन्हें अपने विज्ञान स्नातक, कानून की अंक तालिका और माइग्रेशन प्रमाणपत्र में फर्जीवाड़ा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जांचकर्ताओं ने कहा कि प्राथमिकी दर्ज की गई है और करीब एक माह तक चली जांच में यह बात स्थापित होने के बाद कानून मंत्री की गिरफ्तारी की गई कि 2011 में बार काउंसिल आफ दिल्ली में सौंपे गए दस्तावेज फर्जी थे। तोमर ने लॉकअप से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस्तीफा भेजा जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।

उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया, तोमर ने मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा भेज दिया है और उसे स्वीकार कर लिया गया है। इसे बुधवार सुबह उप राज्यपाल को भेजा जाएगा।

यह पूछने पर कि तोमर ने पहले क्यों नहीं इस्तीफा दिया, सिसोदिया ने कहा, यह तो जितेंद्र तोमर ही बता सकते हैं। तोमर ने कहा कि वे नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे रहे हैं । लेकिन ‘मैं इस मामले में लडूंगा और जीतूंगा। इसके बाद, मैं पार्टी के लिए काम करूंगा।’

दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को मंत्री तोमर को बेहद नाटकीय तरीके से गिरफ्तार किया। देर शाम तोमर को दिल्ली की साकेत अदालत में पेश किया गया। दिल्ली पुलिस ने अदालत से कथित फर्जी डिग्री मामले में गिरफ्तार तोमर की पांच दिन की हिरासत मांगते हुए कहा था कि विधि डिग्री से संबंधित उनके शैक्षिक प्रमाणपत्र ‘फर्जी’ हैं।

पुलिस ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट से कहा कि तोमर जिन शैक्षिक प्रमाणपत्रों के सही होने का दावा कर रहे हैं, वे फर्जी हैं और शुरुआती जांच के दौरान, इन प्रमाणपत्रों पर हस्ताक्षर करने वाले अधिकारियों ने इस बात से इनकार किया है कि ये असली हैं। पुलिस ने अदालत से कहा कि सभी (दस्तावेज) के बारे में या तो संस्थान ने इनकार किया है या हमें नहीं पता कि ये दस्तावेज अस्तित्व में कैसे आए। इसके लिए हमें तोमर से पूछताछ करनी है।

पुलिस ने कहा कि उनके (तोमर) अनुसार, ये सभी दस्तावेज (शैक्षिक प्रमाणपत्र) कथित रूप से सही हैं। लेकिन इन दस्तावेजों पर कथित रूप से हस्ताक्षर करने वालों का कहना है कि उन्होंने ये हस्ताक्षर नहीं किए। पुलिस की याचिका का विरोध करते हुए तोमर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फुल्का और अधिवक्ता राजीव खोसला ने कहा कि पुलिस ने कानून के प्रावधानों का पालन किए बगैर मंत्री को गिरफ्तार कर लिया और सीआरपीसी की धारा 160 के तहत गिरफ्तारी से पहले उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया।

दलीलें सुनने के बाद अदालत ने कहा कि इस पर आदेश बाद में सुनाया जाएगा। बचाव पक्ष के वकील ने आरोप लगाया कि पुलिस तोमर के साथ भेदभाव कर रही है। उन्होंने कहा कि उनका काम इस व्यक्ति को ठिकाने लगाना और उसे सबक सिखाना है। यह एजंसी द्वारा पूरी तरह से भेदभावपूर्ण जांच है। वे सच सामने नहीं लाना चाहते हैं।

वकील फुल्का ने कहा कि तोमर को उठाने के बाद, पुलिस उनसे पूछ रही है कि उन्हें डिग्री दी जाए। यह ऐसा मामला है जहां खुल्लमखुल्ला लापरवाही की गई है। उन्होंने कहा कि यह देश के लिए काला दिन है और अगर यह पुलिस राज जारी रहेगा तो मैं कहना चाहता हूं कि कोई सुरक्षित नहीं है। वकील ने अदालत से कहा कि पुलिस हिरासत नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि आरोपी ने हमेशा जांच में सहयोग किया है और उनके भागने या सबूतों से छेड़छाड़ की कोई चिंता नहीं है। तोमर के वकील ने अदालत से कहा कि पुलिस उन्हें केवल परेशान करना चाहती है और यह केवल ‘राजनीतिक दुश्मनी’ है।

त्रिनगर से विधायक और पहली बार मंत्री बने 49 वर्षीय तोमर को ऐसे समय पर गिरफ्तार किया गया है जब दिल्ली सरकार में शक्तियों को लेकर आप सरकार और उपराज्यपाल नजीब जंग के बीच पहले ही तनातनी चल रही है। पुलिस का एक दल अदालत के आदेश पर तोमर के खिलाफ आरोपों की जांच करने के लिए बिहार गया था कि उन्होंने फर्जी डिग्री का इस्तेमाल किया है। गिरफ्तारी के तत्काल बाद आप नेताओं ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए दावा किया कि यह विधिवत निर्वाचित विधायक और एक मंत्री के खिलाफ ‘अवैध और असंवैधानिक’ कदम है।

तोमर के इस्तीफे के बाद आप के एक नेता ने अपना नाम गुप्त रखते हुए बताया कि तोमर का विकल्प तलाशने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी। हालांकि सबसे पहले इस मामले को सर्वोच्च अदालत में ले जाना प्राथमिकता है। आप नेताओं में से एक ने आरोप लगाया कि गिरफ्तारी की ‘साजिश’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शह पर केंद्रीय गृह मंत्री के कार्यालय में रची गई और पार्टी इसके आगे नहीं झुकेगी और मुकाबला करेगी।

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आप के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि गिरफ्तारी की साजिश उनके मंत्रालय में रची गई। सिंह ने कहा कि गृह मंत्रालय ने इसका आदेश नहीं दिया है। दिल्ली के पुलिस आयुक्त बी एस बस्सी ने कहा कि कानून के दायरे में कार्रवाई की गई है और निर्दिष्ट नियमों का पालन किया गया है

किसने क्या कहा:

मनीष सिसोदिया : जितेंद्र सिंह तोमर की गिरफ्तारी से आहत दिल्ली के मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सीधे मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए उन पर दिल्ली में आपातकालीन जैसे हालात पैदा करने का आरोप लगाया है। सिसोदिया ने कहा कि शहर में भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई, खासकर सीएनजी फिटनेस घोटाले की जांच फिर से खोले जाने के कारण मोदी सरकार उपराज्यपाल के जरिए दिल्ली में आपातकाल जैसी स्थिति पैदा कर रही है।

विजेंद्र गुप्ता: दिल्ली विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने तोमर के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को न्यायोचित बताया। उन्होंने कहा कि यह बड़ी अजीब बात है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने की दुहाई देने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक ऐसे व्यक्ति का साथ दे रहे हैं जो स्वयं फर्जीवाड़े के भ्रष्टाचार में लिप्त है।

अजय माकन: दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन ने तुरंत प्रभाव से जितेंद्र तोमर को दिल्ली सरकार में कानून मंत्री पद से हटाने व उनकी विधानसभा की सदस्यता भी रद्द करने की मांग की है। माकन ने कहा कि आज भारत के इतिहास का काला दिन है जब किसी राज्य के कानून मंत्री को कानून की फर्जी डिग्री रखने पर पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

अजय माकन: दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन ने तुरंत प्रभाव से जितेंद्र तोमर को दिल्ली सरकार में कानून मंत्री पद से हटाने व उनकी विधानसभा की सदस्यता भी रद्द करने की मांग की है। माकन ने कहा कि आज भारत के इतिहास का काला दिन है जब किसी राज्य के कानून मंत्री को कानून की फर्जी डिग्री रखने पर पुलिस ने गिरफ्तार किया है।