आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली की लोकसभा की सात में से छह सीटों के उम्मीदवार उस समय घोषित किए जब उसकी कांग्रेस से सीटों के तालमेल की बात आखिरी दौर में थी। तब कहा गया कि यह दबाव की राजनीति के लिए किया गया। खैर, कांग्रेस ने कई बड़े नेताओं के दबाव को दरकिनार करके अपने बूते चुनाव लड़ना तय किया। अब अबूझ पहेली ‘आप’ की ओर से सातवीं सीट पर उम्मीदवार न घोषित करना बना हुआ है। पहले जब पार्टी ने प्रभारी घोषित किए तब पश्चिमी दिल्ली से घोषित प्रभारी ने चुनाव लड़ने में असमर्थता जताई लेकिन यह कोई कैसे मान सकता है कि दिल्ली पर राज करने वाली ‘आप’ के पास उम्मीदवारों की कमी हो गई है। कहा यही जा रहा है कि ‘आप’ किसी बड़े कद वाले नेता को कुछ दिन और समझौते का इंतजार करके टिकट देने की पेशकश करेगी। पहले कहा जा रहा था कि कांग्रेंस से समझौते में तीन-तीन सीट पर दोनों पार्टी चुनाव लड़ेंगी और एक सीट से यशवंत सिन्हा, शत्रुघ्न सिन्हा, अरूण शौरी जैसे बड़े नेता चुनाव लड़ सकते हैं। जो पश्चिमी दिल्ली का राजनीतिक गणित है उसमें तो इस तरह के नेताओं को उस सीट से चुनाव लड़वाना जोखिम वाला काम है। यह मालूम नहीं है कि आखिरी समय में सीट बदल जाए या उस सीट के लायक उम्मीदवार खोज लिया जाए। वैसे इसे केवल अटकलें ही माना जा रहा है क्योंकि पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल के मूड का पता लगाना आसान नहीं है।
नहले पर दहला
चुनावी मौसम किसी शादी के मौसम से कम नहीं होता। कहीं बेमेल शादियां (बिल्कुल विपरीत विचारधारा के राजनीतिक दलों का गठबंधन) होती दिखती हैं तो कहीं दोनों पक्ष एक दूसरे के योग्य होने के बावजूद मंडप तक नहीं पहुंच पाते। हाल ही में दिल्ली में कुछ ऐसा ही माहौल दिखा। लगा कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच अब गठबंधन हुआ, तब गठबंधन हुआ बस। लेकिन अंत मौके पर कांग्रेस ने कहा कि ‘आप’ के साथ कोई गठबंधन नहीं। इस पर सोशल मीडिया पर काफी रोचक तस्वीरें और व्यंग देखने को मिले, लेकिन उनके बीच एक ऐसी टिप्पणी थी जो आम आदमी पार्टी के ‘अंगूर खट्टे हैं’ बहाने का सटिक जवाब था। गठबंधन के प्रयासों के विफल होने के बाद अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी का यह कहना कि कांग्रेस, भाजपा से मिली हुई है और जब पूरी जनता मोदी-शाह जोड़ी को हरा कर देश बचाना चाहती है तो कांग्रेस भाजपा को फायदा पहुंचा रही है। इस पर किसी ने टिप्पणी की कि देश हित में क्यों नहीं आम आदमी पार्टी अपने प्रत्याशी कहीं न उतारे और कांग्रेस वोट बैंक को बंटने देने से बचा ले ताकि भाजपा को हराना आसान हो। इसे कहते हैं नहले पे दहला।
मार सके न कोई
जाको राखे साइंया मार सके न कोई। यह बात बीते दिनों द्वारका अदालत परिसर में दिखी। परिसर में भगदड़ देख लोग चौंके। मानो किसी फिल्म की शूटिंग हो रही हो। एक बंदे ने पुलिस की सर्विस रिवाल्वर झपट एक वकील पर तान रखी थी। देखते ही देखते अफरातफरी मच गई। वकील पर भन्नाते -चिल्लाते बंदे ने तमंचे का घोड़ा बार बार दबाने की कोशिश की। लेकिन कारतूस भरे तमंचे से गोली नहीं चली। पता चला तमंचा आधुनिक था और लौक था। जिसे खोलना युवक को नहीं आया और वकील की जान बच गई । किसी ने ठीक ही कहा-जाको राखे साइंया मार सके न कोई।
प्रत्याशियों की सूची
लोकसभा चुनाव 2019 की सुगबुगाहट शुरू होने के साथ ही नेताओं के राजनैतिक दलों में अदला-बदली का दौर शुरू हो चुका है। दलों की अदला-बदली करने की सूचना व्यापक स्तर तक पहुंचाने के लिए समाचार पत्रों से ज्यादा सोशल मीडिया का इस्तेमाल हो रहा है। लेकिन सोशल मीडिया के जरिए फर्जी या गलत संदेशों के जरिए छवि बिगाड़ने का दौर भी शुरू हो गया है। इसी कड़ी में भाजपा लोकसभा प्रत्याशियों की एक सूची वॉट्सऐप पर हाल ही में वायरल हुई है। जिसमें गौतमबुद्ध नगर सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में पूर्व विधायक एवं मंत्री नवाब सिंह नागर को प्रत्याशी दिखाया गया है। सूची में करीब डेढ़ दर्जन सीटों से लड़ने वाले प्रत्याशियों के नाम हैं। इसके बाबत जब भाजपा पदाधिकारियों से पूछा गया, तो उन्होंने इसकी पुष्टि नहीं की और फर्जी बताया। अलबत्ता इस सूची के आने के बाद से शहर में प्रत्याशी के नाम की चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।
बदल गए पोस्टर
चुनाव ऐलान से पहले ही ‘आप’ नेताओं के पोस्टर दिल्ली की सड़कों पर नजर आ रहे हैं। इस पोस्टर में पार्टी की ओर से घोषित प्रत्याशियों को ही आपके सांसद होने का ऐलान कर दिया गया है। ये ऐलान राजनीतिक दलों को रास नहीं आ रहा है। इस वजह से पार्टी की शिकायतें अभी से पुलिस तक पहुंच गई हैं। इस वजह से पार्टी ने एकाएक इस रणनीति में बदलाव किया है और पुराने पोस्टर हटाकर उनकी जगह क्षेत्रीय प्रत्याशी के पोस्टर लगा दिए हैं।
-बेदिल