दिल्ली के जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती के मौके पर हुई हिंसा पर राजनीति भी तेज हो गई है। 3 वामपंथी दलों के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने हिंसा वाली जगह का दौरा किया और 50 परिवारों से मुलाकात की। इस दौरान वामपंथी नेताओं ने बजरंग दल को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया। वाम दलों ने निष्कर्ष निकाला है कि जहांगीरपुरी में शनिवार की झड़प का उद्देश्य संघ परिवार के कुछ कथित सहयोगियों द्वारा धार्मिक त्योहारों का उपयोग कर सांप्रदायिक संघर्ष को बढ़ावा देना है।

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार वाम दलों की फैक्ट फाइंडिंग टीम ने 50 परिवारों से मिलने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि घटनाओं को एक श्रृंखला में देखा जाना चाहिए। पहले साउथ दिल्ली के मेयर द्वारा मांसाहारी खाने पर प्रतिबन्ध लगाया जाता है और फिर एबीवीपी द्वारा जेएनयू में शाकाहारी खाने का दबाव बनाया जाता है। फिर राजधानी में गौरक्षकों द्वारा एक फार्महाउस के कार्यवाहक की हत्या की जाती है।

स्थानीय निवासियों ने वाम दलों की फैक्ट फाइंडिंग टीम को बताया कि 150 से 200 लोगों का एक समूह जहांगीरपुरी में दोपहर से एक जुलूस (हनुमान जयंती के लिए शोभा यात्रा) में हथियार लेकर तेज संगीत बजाते हुए और नारे लगाते हुए घूम रहा था। उस दौरान वहां मौजूद लोगों ने बताया कि उन्होंने लोगों को पिस्तौल और तलवारें लहराते हुए देखा, जैसा कि कुछ टीवी चैनलों ने भी दिखाया।

वाम दलों की टीम ने कहा कि, “स्थानीय निवासियों द्वारा बताया गया कि जुलूस का आयोजन आस-पड़ोस के लोगों ने नहीं बल्कि बजरंग दल द्वारा किया गया था, जिसमें हिस्सा लेने वाले अधिकांश लोग क्षेत्र के बाहर के थे। जुलूस के साथ पुलिस की केवल दो जीप थी, एक आगे और दूसरी पीछे और प्रत्येक जीप में केवल दो पुलिसकर्मी थें। पुलिस ने पर्याप्त व्यवस्था क्यों नहीं की और जुलूस में हथियार ले जाने की अनुमति क्यों दी गई।”

बता दें कि दिल्ली हिंसा को लेकर दिल्ली के पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस की और बताया कि, “हिंसा में कुल 9 लोग घायल हुए हैं जिसमे 8 पुलिसकर्मी और 1 सामान्य नागरिक शामिल है। कुछ लोग सोशल मीडिया के माध्यम से शांति भंग करने का प्रयास कर रहे हैं। हम लोग सोशल मीडिया पर कड़ी निगरानी रख रहें हैं और ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”