भारत की आजादी को आज 75 साल पूरे हो गए। इन सालों के दरम्यान देश ने कई क्षेत्रों में तरक्की की है तो कई पहलू ऐसे भी हैं जहां उसे बहुत ज्यादा सुधार की जरूरत है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में भारत की उपलब्धियों को लेकर दो तरह से समीक्षा की गई है। एक में आजादी के बाद से अब तक भारत ने क्या हासिल किया तो दूसरे में कुछ देशों से उसकी तुलना की गई है। इनमें से कुछ देश अपनी उपलब्धियों की वजह से विश्व के मानचित्र पर अपनी छाप रखते हैं तो कुछ की हालत भारत सरीखी ही है।
Gross Domestic Product (GDP)
जीडीपी के मामले में देखा जाए तो भारत ने इस मामले में अनुकरणीय उपलब्धि हासिल की है। आजादी के बाद हमारी जीडीपी तेजी से बढ़ी है। हम ब्रिटेन को भी इस मामले में पीछे छोड़ने की स्थिति में हैं। लेकिन चीन के ग्राफ के देखे तो हमें एहसास हो जाता है कि कहीं चूक है। 70 और 80 के दशक तक भारत और चीन इस मामले में एक जैसे थे पर आज के हालात में चीन की जीडीपी भारत की तुलना में लगभग दोगुनी है।
GDP per capita
जीडीपी को पर कैपिटा के हिसाब से आंका जाए तो हमारी स्थिति काफी खराब दिखती है। इसमें जीडीपी को आबादी से जोड़कर देखा जाता है। इस मामले में चीन की स्थिति भी अच्छी नहीं कही जा सकती। वो दक्षिण कोरिया और ब्रिटेन से काफी पीछे है। जबकि भारत की हालत पाकिस्तान से ही थोड़ी बेहतर है। ब्राजील भी उससे इस मामले में कहीं ज्यादा आगे खड़ा दिखता है। परचेजिंग पॉवर (खरीद की क्षमता) के जरिये भी जो आकलन किया गया है उसमें भी भारत की स्थिति कमोवेश पहले जैसी ही है।
Median Income
इस मामले में भारत की स्थिति काफी खराब दिखती है। इसमें आबादी को दो हिस्सों में बांटकर तुलना करते हैं। हालांकि भारत की जीडीपी में तेजी से बढ़त देखी गई है लेकिन आबादी के लिहाज से इसमें काफी असमानता है। आबादी का एक हिस्से (गरीब) की आमदनी में कोई बदलाव नहीं दिखता जबकि दूसरे हिस्से की आमदनी लगातार बढ़ती दिखती है। ये काफी अहम पहलू है।
Proportion of extremely poor
अत्यंत गरीबी में जी रही देश की आबादी को इसमें शामिल किया गया है। इसमें ऐसे लोगों को शामिल किया जाता है जिनकी आय दो डॉलर रोजाना से भी कम है। हालांकि भारत ने इस मामले में अच्छा काम किया है। इस तबके में पहले जहां 60 फीसदी लोग शामिल थे। वहीं अब इनकी तादाद केवल 10 फीसदी ही है।
लेकिन चीन और इंडोनेशिया जैसे देश हमसे बेहतर कर रहे हैं। इस मामले का गंभीर पहलू ये भी है कि भारत में दशकों से गरीबों की वास्तविक स्थिति को जानने की कोई कोशिश नहीं हुई। 2013 की रिपोर्ट बताती है कि विश्व में अत्यंत गरीबों की तादाद 746 मिलियन है। जबकि भारत में ऐसे लोग 213 मिलियन हैं। यानि 21 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी की रेखा से नीचे जी रहे हैं।
Human Development Index
इस मामले में स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन के स्तर जैसे पहलुओं को परखा जाता है। भारत के मामले में सुखद स्थिति ये है कि हमने लाइफ एक्सपेटेंसी में सुधार किया है। यानि जो बच्चे पैदा होते हैं उनके जीने का समय पहले से काफी ज्यादा हुआ है। पहले औसत आयु जहां 40 साल थी वहीं अब ये 70 के आसपास दिखती है।
Undernourished population
आबादी के पोषण के मामले में भी देश की स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकती है। रिपोर्ट बताती है कि इस मामले में काफी सुधार की जरूरत है। गरीबों की तादाद की तरह भारत में अपोषित आबादी की संख्या काफी ज्यादा है। चीन, पाकिस्तान और इंडोनेशिया जैसे देशों की तुलना में भारत की बहुत बड़ी आबादी अपोषित है। हालांकि इसमें सुधार हुआ है। लेकिन स्थिति अभी भी विकराल है।
Economic empowerment of women
ये पहलू भी चिंताजनक है। भारत में कामकाजी महिलाओं की तादाद 2005 के बाद से तेजी से घट रही है। देश को अगर जीडीपी जैसे दूसरे मोर्चों पर सफलता हासिल करनी है तो महिलाओं की स्थिति को तेजी से सुधारना होगा। लिंगभेद को दूर करके महिलाओं की क्षमता का पूरा उपयोग करना ही होगा। भारत के विकास में ये चीज सबसे बड़ी बाधा है। इस मामले में हमारी स्थिति कमोवेश पाकिस्तान सरीखी ही है। जबकि चीन, यूके, यूएस और इंडोनेशिया जैसे देशों में महिलाओं की स्थिति काफी अच्छी है। हमसे बेहतर स्थिति में तो ब्राजील भी दिखता है।