नगर निगम चुनाव और राजौरी गार्डन विधानसभा उपचुनाव से ठीक पहले पूर्व सीएजी वीके शुंगलू की अगुआई में बनी कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक होने से आम आदमी पार्टी (आप) और दिल्ली राजनीति में भूचाल आ गया है। इसी तरह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने आरटीआइ के जरिए शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक की तो उपराज्यपाल अनिल बैजल को आप के दफ्तर का आबंटन रद्द करना पड़ा। शुंगलू कमेटी ने गैरकानूनी तरीके से दफ्तर आबंटित करने से भी बड़े कई मामले उजागर किए हैं। दिल्ली के बाद पंजाब जीतने की कोशिश में असफल रहने के बाद आप प्रमुख व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लोगों को अपनी तरफ करने के लिए निगम चुनावों में कई मुद्दे उठाए, लेकिन उन्हें विधानसभा चुनाव के दौरान बिजली-पानी मुफ्त करने जैसा लोकप्रिय नहीं बना पाए।

निगम की सत्ता में आने पर दिल्ली को गृह कर से मुक्त करने की उनकी घोषणा की भी शुंगलू कमेटी ने धज्जियां उड़ा दीं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 में भाजपा की निगम सरकारों ने दिल्ली सरकार से अनधिकृत कालोनियों में गृह कर लगाने की अनुमति मांगी थी और केजरीवाल की दिल्ली सरकार ने यह अनुमति दे दी थी। इसी प्रकार का प्रस्ताव 2012 में भाजपा शासित निगमों ने कांग्रेस शासित दिल्ली सरकार को भेजा था जिसकी तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इजाजत नहीं दी थी। संयोग से इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने से पहले अरविंद केजरीवाल ने अपने व्यक्तिगत मानहानि के मुकदमे को लड़ने के लिए करीब चार करोड़ रुपए वकील राम जेठमलानी को फीस के रूप में देने के लिए आदेश जारी करवाए। इससे भुगतान में अड़ंगा तो लगा ही, साथ उनकी किरकिरी भी हुई।आप की ओर से पहले तो शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करने के समय पर सवाल उठाया गया, लेकिन जब पता चला कि यह रिपोर्ट उपराज्यपाल या भाजपा की ओर से नहीं, बल्कि अजय माकन की आरटीआई से सार्वजनिक हुई है तब वे दूसरी बात करने लगे। रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद पता चला कि शुंगलू कमेटी ने एक-एक बिंदु के पक्ष में पूरे तथ्य जुटाए हैं और केजरीवाल सरकार के कामकाज से जुड़ी 404 फाइलों को पूरी बारीकी से खंगाला है।

दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि जिस तरह की अनियमितता रिपोर्ट में बताई गई है उससे तो केजरीवाल सरकार को बर्खास्त करने से लेकर उन पर और गलत तरीके से फायदा लेने वालों पर मुकदमा भी चल सकता है। आप सरकार ने नियमों को ताक पर रखकर लाखों रुपयों के वेतन पर रिश्तेदारों और नजदीकी लोगों की नियुक्तियां भी कीं। केजरीवाल की साली के दामाद डॉ निकुंज अग्रवाल को दिल्ली सरकार के अस्पताल में सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर नियुक्त किया गया। इसके बाद अग्रवाल को दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का ओएसडी भी नियुक्त किया गया। अग्रवाल को सरकारी खर्चे पर आइआइएम अहमदाबाद और चीन भी भेजा गया। कमेटी ने यह भी पाया कि स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की बेटी सौम्या जैन को मोहल्ला क्लीनिक के प्रोजेक्ट में सलाहकार नियुक्त किया गया, जबकि वे आर्किटेक्ट हैं और उनका स्वास्थ्य के क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं है। कमेटी ने यह भी पाया कि मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों के निजी स्टाफ में तकरीबन 42 लोगों को बिना किसी छानबीन के नियुक्त कर प्रत्येक व्यक्ति को 80 हजार से 1.50 लाख तक का वेतन दिया गया। बिना पूर्व अनुमति मंत्रियों के विदेश दौरों का ब्योरा भी कमेटी ने दिया है।कमेटी के प्रमुख व पूर्व सीएजी वीके शुंगलू ने कहा कि क्या होना चाहिए या कैसे हुआ के बजाए उन फाइलों में क्या है यह उन्होंने लिखा है। हालांकि दावे चाहे जो भी किए जाएं, लेकिन इस रिपोर्ट ने आप को बैकफुट पर तो ला ही दिया है और आपसी कलह में फंसी कांग्रेस को फिर से जमीन तैयार करने का मौका दे दिया है।