निर्भय कुमार पांडेय

पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मांगेराम गर्ग बड़े ही सरल और सहज स्वाभाव के थे। कुछ लोगों का कहना था कि उन्हें कभी किसी पद पाने को लेकर अपेक्षा नहीं रही। उनके सहयोगी रहे प्रवीण कुमार सिंह ने बताया कि साल 1977 में दिल्ली नगर निगम का चुनाव होना था। उस वक्त शक्ति नगर सीट पर चुनाव के लिए उनके नामों की चर्चा जोरों पर थी। भाजपा नेता हरि किशन के नाम पर भी चर्चाएं हो रही थी।

अंतिम निर्णय लेने के लिए संगठन ने दोनों पर फैसला छोड़ दिया। बताया जाता है कि उन्होंने हरि किशन से कहा कि पर्ची निकाल लेते हैं, जिसके नाम की पर्ची निकलेगी वही चुनाव लड़ेगा। पर्ची में हरि किशन का नाम निकला तो उन्होंने पूरी शिद्दत के साथ हरि किशन को चुनाव लड़वाया और जीत भी दिलवाई। उस समय दिल्ली विधानसभा नहीं थी इसलिए निगम चुनाव का काफी महत्व था।

प्रवीण कुमार का कहना है कि वे हमेशा कहा करते थे कि छोटे कार्यकर्ता के घर जाने से कार्यकर्ता का सम्मान बढ़ता है, लेकिन इससे पार्टी का आधार मजबूत होता है। प्रवीण का यह भी कहना है कि देश में जब कभी कहीं भी कोई प्रकृतिक आपदा आती थी। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व मांगे राम गर्ग को याद करता था।
हरियाणा से दिल्ली आकर उन्होंने रौशन आरा रोड पर स्थित एक दाल के कारखाना में 80 रुपए प्रति महीने के वेतन पर नौकरी की।

इस दौरान कारखाना मालिक को काफी फायदा हुआ, जिसके बाद मालिक ने उन्हें मुनाफे में 25 फीसद का हिस्सेदार बना दिया। उसके बाद उन्होंने धर्म के क्षेत्र में कई कार्य किए। चाहे आर्दश राम लीला कमिटी का स्थापना करना हो या फिर देश के 100 से अधिक तीर्थ स्थलों पर धर्मशाला बनवाने का कार्य।

छठ घाट का निर्माण
दिल्ली के वह पहले नेता थे, जिन्होंने साहिब सिंह वर्मा के मुख्यमंत्री रहते हुए दिल्ली में तीर्थ विकास समिति का गठन करवाया। इसी समिति के तहत उन्होंने पूर्वाचल के महापर्व छठ के लिए यमुना किराने घाट बनवाए। उन्होंने सरकार से सरकारी अवकाश घोषित करने की मांग की।