चेन्नई के गणितीय विज्ञान संस्थान के एक शोधकर्ता का अनुमान है कि कोरोना विषाणु संक्रमण के लिए देश का ‘रीप्रोडक्शन नंबर’ (आर वैल्यू) जनवरी के बाद पहली बार एक से अधिक हो गया है। यह संख्या बताती है कि संक्रमण कितनी तेजी से फैल रहा है।
सीताभ्र सिन्हा के अनुसार कुछ हफ्ते में लगातार बढ़ रही ‘आर वैल्यू’ 12-18 अप्रैल के बीच के सप्ताह के लिए 1.07 थी। जबकि 5-11 अप्रैल के सप्ताह में यह 0.93 थी। सिन्हा ने कहा कि पिछली बार ‘आर वैल्यू’ एक से ऊपर (1.28) 16-22 जनवरी के बीच के सप्ताह में थी। कोरोना महामारी की शुरुआत से ही देश के लिए ‘आर वैल्यू’ पर नजर रखने वाले गणितज्ञ ने बताया कि ‘आर वैल्यू’ में यह बढ़ोतरी केवल दिल्ली की वजह से ही नहीं बल्कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कारण भी हुई है। एक से अधिक ‘आर वैल्यू’ से पता चलता है कि संक्रमण का इलाज करा रहे मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। महामारी को नियंत्रित करने के लिए ‘आर वैल्यू’ एक से कम होनी चाहिए।
सिन्हा ने कहा कि लगभग सभी प्रमुख शहरों मुंबई, बंगलुरु और चेन्नई में ‘आर वैल्यू’ एक से अधिक है। दिल्ली और उत्तर प्रदेश में ‘आर वैल्यू’ दो से ऊपर है। कोलकाता के लिए डेटा उपलब्ध नहीं है। प्रमुख राज्यों में, केरल और महाराष्ट्र में क्रमश: 0.72 और 0.88 ‘आर वैल्यू’ हैं, जो एक से कम है। सिन्हा ने कहा कि कर्नाटक में भी वर्तमान में ‘आर वैल्यू’ एक से अधिक है, जो शायद बंगलुरु में बढ़ते मामलों के कारण हुआ है।
क्या है आर वैल्यू
‘आर वैल्यू’ यह बताती है कि कोरोना से संक्रमित एक व्यक्ति से कितने लोग संक्रमित हो रहे हैं। अगर ‘आर वैल्यू’ एक से ज्यादा है तो इसका मतलब है कि मामले बढ़ रहे हैं और अगर एक से कम हो रही है तो ये मामले घट रहे हैं। अगर 100 व्यक्ति संक्रमित हैं और वे 100 लोगों को संक्रमित करते हैं तो ‘आर वैल्यू’ एक होगी लेकिन अगर ये 100 लोग 80 लोगों को संक्रमित कर पा रहे हैं तो यह ‘आर वैल्यू’ 0.80 होगी। एक से कम ‘आर वैल्यू’ से पता चलता है कि बीमारी फैलना बंद हो जाएगी क्योंकि ज्यादा लोग संक्रमित नहीं हो रहे। इस साल ‘आर वैल्यू’ 1-10 जनवरी के बीच उच्चतम थी, जो 2.98 तक पहुंच गई थी, जब भारत में कोरोना विषाणु के ओमीक्रान बहुरूप की वजह से तीसरी लहर शुरू हुई थी।