दिल्ली हाईकोर्ट ने रमजान के मद्देनजर हजरत निजामुद्दीन मस्जिद में नमाज अदा करने की अनुमति दे दी है। सोमवार को कोर्ट ने कहा कि रमजान के महीने में नमाज अदा करने के लिए मस्जिद के संचालन करने की अनुमति दी जा सकती है। कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली पुलिस की उस दलील को खारिज कर दिया कि एक वक्त पर 20 लोगों को ही अंदर जाने की इजाजत दी जाए।

जस्टिस मुक्त गुप्ता ने कहा कि यह एक सार्वजनिक स्थल है। जब अन्य जगहों के धार्मिक स्थलों पर ऐसी कोई रोक नहीं है तो फिर वे वहां पर आने वाले लोगों की संख्या तय नहीं कर सकते। कोर्ट ने कहा कि कोई भी व्यक्ति पूजा के लिए मंदिर, मस्जिद या गिरिजाघर में जा सकता है। किसी भी धर्म के मामले में संख्या को सीमित करने का कोई जिक्र नहीं है। ऐसे में मस्जिद के मामले में भी संख्या को लेकर कोई दिशा निर्देश नहीं दिया जा सकता।

पुलिस की दलील थी कि उसकी तरफ से वैरिफाइड 200 लोगों की सूची में से सिर्फ 20 लोगों को मस्जिद में जाने की अनुमति मिले। कोर्ट ने यह भी कहा कि दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा। उचित सामाजिक दूरी और मास्क लगाने जैसे कोविड प्रोटोकॉल को गंभीरता से पालन करना होगा। रमजान का महीना 14 अप्रैल से शुरू हो रहा है। मरकज दक्षिण दिल्ली के निजामुद्दीन में बंगले वाली मस्जिद में स्थित है।

सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया कि रमजान के महीने में नमाजियों के लिए निजामुद्दीन मरकज को खोला जा सकता है। गौरतलब है कि बीते साल मरकज में तबलीगी जमात का एक धार्मिक समागम हुआ था और इसे पिछले साल 31 मार्च से बंद रखा गया है। केंद्र ने 24 मार्च को कहा था कि वक्फ बोर्ड द्वारा चुने गए 50 लोगों को शब-ए-बारात के दौरान मस्जिद में नमाज अदा करने की इजाजत दी जा सकती है।

केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता रजत नायर ने सोमवार को अदालत से कहा कि रमजान के दौरान मस्जिद में नमाज अदा करना, दिल्ली में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर सामजिक दूरी का पालन करने और अन्य एहतियातों से जुड़े DDMA के दिशा निर्देशों के अनुसार होना चाहिए।