दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक सोमनाथ भारती को एम्स के सुरक्षाकर्मियों पर हमले के मामले में सुनाई गई दो साल कारावास की सजा बुधवार को निलंबित कर दी। न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने मामले में भारती की दोषसिद्धि पर भी रोक लगा दी और उनकी याचिका पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा। भारती ने खुद को दोषी ठहराए जाने और दो साल कैद की सजा सुनाए जाने के निचली अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।
उच्च न्यायालय ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 20 मई की ताारीख तय की। भारती को यहां निचली अदालत द्वारा मंगलवार को फैसला सुनाए जाने के बाद हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया था। उन्होंने उच्च न्यायालय में दायर अपनी अपील में निचली अदालत के फैसले को दरकिनार किए जाने और याचिका लंबित रहने के दौरान सजा को निलंबित किए जाने का आग्रह किया है। उन्होंने मामले में अपनी दोषिसिद्धि के स्थगन का भी अनुरोध किया है।
अभियोजन के अनुसार, नौ सितंबर 2016 को भारती और लगभग 300 अन्य लोगों ने यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की एक दीवार की बाड़ को एक जेसीबी ऑपरेटर की मदद से गिरा दिया था और सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया था। मामले में पिछली जनवरी में एक मजिस्ट्रेट ने उन्हें दो साल कैद की सजा सुनाई थी। इस सजा को मंगलवार को सत्र न्यायाधीश ने भी बरकरार रखा था।
भारती ने कहा था कि एम्स को गौतम नगर और रिंग रोड के बीच नाले को ढकने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि यह सार्वजनिक सम्पत्ति है। जांच में पता चला कि यह नाला ढकने और मरम्मत करने के लिए एम्स को पट्टे पर दिया गया था। सत्र अदालत ने अपने आदेश में कहा कि घटना के प्रत्यक्षर्दिशयों के बयान बताते हैं कि एम्स की दीवार के निकट भारती 200 से 300 लोगों के साथ मौजूद थे और वे जेसीबी मशीन की मदद से दीवार और बाड़ तोड़ने की कोशिश कर रहे थे।
उसने कहा कि जब कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने इसका विरोध किया, तो उन्हें अपशब्द कहे गए और भीड़ के पथराव के कारण वे घायल हो गए। जनवरी में भारती को मामले में दोषी ठहराए जाने और जेल की सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय के समक्ष अपील दायर करने के लिए जमानत दे गई थी। यह मामला एम्स के मुख्य सुरक्षा अधिकारी आरएस रावत की शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया था।