आम आदमी पार्टी (आप) ने जनता की मेहनत की कमाई को विज्ञापनों पर खर्च करने को लेकर दिल्ली सरकार को कठघरे में खड़ा करने वाली समिति की निष्पक्षता पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।पार्टी ने आरोप लगाया है कि यह मोदी सरकार और भाजपा के लाभार्थियों की केजरीवाल सरकार को अपमानित करने की साजिश है। सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त बीबी टंडन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति का गठन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर किया था ताकि सरकारी विज्ञापनों में विषय वस्तु नियमन से जुड़े मुद्दों का हल हो सके। समिति में विज्ञापन जगत से जुड़े पीयूष पांडे और पत्रकार रजत शर्मा भी शामिल थे।

आप नेता आशुतोष ने कहा कि यह कुछ और नहीं, बल्कि दिल्ली सरकार को निशाना बनाने और अपमानित करने की साजिश है। समिति को निष्पक्ष लोगों की जरूरत थी, जो अपना काम बिना किसी पक्षपात या भेदभाव के कर पाते। उन्होंने टंडन पर हमला करते हुए कहा कि समिति के दो सदस्य या तो भाजपा से जुड़े हुए हैं या मोदी जी के लाभार्थी हैं। इसलिए निष्पक्ष रिपोर्ट की उम्मीद कैसे की जा सकती है। उन्होंने आरोप लगाया कि समिति के दो सदस्यों में से एक अपने कॉलेज के दिनों से भाजपा के साथ जुड़ा हुआ है जबकि दूसरे ने 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी के लिए प्रचार अभियान का खाका तैयार किया था।  आप के वरिष्ठ नेता ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना रुख स्पष्ट करेगी। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में आप सरकार को खरी-खरी सुनाई है और कहा है कि इसने सरकारी धन को विज्ञापन पर बर्बाद किया, जिनमें केजरीवाल और उनकी पार्टी का प्रचार किया गया। यह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है। रिपोर्ट में आप सरकार से हर्जाना वसूलने की बात भी कही गई है।

नहीं किया उल्लंघन
दिल्ली सरकार ने अपनी छवि का महिमामंडन करने के लिए विज्ञापन नहीं दिए। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के किसी भी दिशानिर्देश का उल्लंघन नहीं किया है। वे (भाजपा शासित तीनों निगम) अपनी छवि का महिमामंडन करने के लिए जनता के पैसे का इस्तेमाल कर रहे हैं। डेंगू और चिकनगुनिया के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए निर्धारित धनराशि स्वगुणगान के लिए खर्च की जा रही है।
-सत्येंद्र जैन, दिल्ली सरकार के मंत्री

आप से वसूले जाएं 854 करोड़ : कांग्रेस

कांग्रेस ने दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी से पार्टी का प्रचार करने के लिए विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए तकरीबन 854 करोड़ रुपए वसूल करने की मांग की। केंद्र सरकार की ओर से नियुक्त एक समिति ने एक दिन पहले कहा था कि केजरीवाल सरकार ने विज्ञापनों पर सरकारी खजाने से धन खर्च किया। कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस प्रमुख अजय माकन ने पत्रकारों से कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके प्रशासन की भी सीबीआइ या किसी अन्य एजंसी से मामले में ‘अपराधिता’ के लिए जांच कराई जानी चाहिए। माकन ने जोर दिया कि उपराज्यपाल नजीब जंग को वाणिज्यिक दर से विज्ञापन लागू की वसूली तय करनी चाहिए, जो डीएवीपी (विज्ञान एवं दृश्य प्रचार निदेशालय) की लागत से तिगुनी दर पर जारी किए जाते हैं क्योंकि उन्हें सत्तारूढ़ आप और उसके नेताओं का प्रचार करने के लिए जारी किया गया।

उन्होंने कहा कि आप ने अपनी सरकार के कार्यकाल के दौरान 284.67 करोड़ रुपए खर्च किए, जो दिल्ली के बाहर प्रकाशित किए गए थे। उन्होंने कहा, ‘अगर आप ने ये विज्ञापन गैर डीएवीपी दरों पर जारी किए होते, जो उससे तीन गुना अधिक होते हैं, तो इसकी लागत 850 करोड़ रुपए से अधिक होती। समिति के आदेश के अनुसार, आप दिल्ली सरकार को 854 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार है’।
पर्व मुख्य चुनाव आयुक्त बीबी टंडन की अध्यक्षता वाली केंद्र सरकार की एक समिति ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट में आप सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि उसने उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी का प्रचार करने के लिए सार्वजनिक धन को खर्च किया और सत्तारूढ़ दल से इसकी प्रतिपूर्ति करने को कहा। तीन सदस्यीय समिति का गठन सरकारी विज्ञापनों में सामग्री नियमन से संबंधित मु्दों का निराकरण करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने किया था।