नई दिल्ली। सीएनजी फिटनेस घोटाले की जांच के मुद्दे पर दिल्ली सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश को मानने से इनकार करते हुए जांच करवाने की बात दोहराई है। गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के इस मुद्दे पर जांच आयोग बनाने के दिल्ली सरकार के फैसले को कानूनी तौर पर अवैध और निरर्थक करार दिया था। लेकिन सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने इस जांच के अपने फैसले पर कायम रहने का संकेत देते हुए उपराज्यपाल नजीब जंग से कहा है कि दिल्ली सरकार जनता के प्रति जवाबदेह है, केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रति नहीं।
उपराज्यपाल नजीब जंग को लिखे एक पत्र में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार ने जांच आयोग का गठन किया है जो अपना काम करता रहेगा और अगर केंद्रीय गृह मंत्रालय को कोई असंतोष है तो वह न्यायपालिका के पास जा सकता है।
उपराज्यपाल ने पिछले हफ्ते गृह मंत्रालय का संदेश दिल्ली सरकार को दिया था जिसमें करोड़ों रुपए के कथित सीएनजी फिटनेस घोटाले की जांच के लिए गठित जांच आयोग को ‘कानूनी तौर पर अवैध और निरर्थक’ घोषित किया गया है। सिसोदिया ने लिखा है कि मैं यह बताना चाहता हूं कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सरकार गृह मंत्रालय का अधीनस्थ विभाग नहीं है। यह संवैधानिक रूप से निर्वाचित सरकार है जो दिल्ली की जनता और दिल्ली विधानसभा के प्रति जवाबदेह है। पत्र में उन्होंने लिखा है कि दिल्ली सरकार केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रति जवाबदेह नहीं है।
आप सरकार ने करोड़ों रुपए के सीएनजी फिटनेस घोटाले की जांच के लिए इस माह के शुरू में हाई कोर्ट के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक जांच आयोग गठित करने का फैसला किया था। इस घोटाले में पूर्ववर्ती शीला दीक्षित सरकार के कई अधिकारी जांच के घेरे में हैं। लेकिन इस पर पहले बनी कमेटी ज्यादा कुछ खोज नहीं पाई और इसी कारण उपराज्यपाल ने आगे कार्रवाई की इजाजत नहीं दी थी।
सिसोदिया ने हालांकि उपराज्यपाल को बताया, ‘संविधान के तहत, केंद्रीय गृह मंत्रालय को दिल्ली सरकार के किसी भी आदेश को निरर्थक घोषित करने का कोई अधिकार नहीं है। यह अधिकार सिर्फ न्यायपालिका को है। गृह मंत्रालय ने ऐसे समय पर संवाद जारी किया है जब मामला अदालत में है क्योंकि जांच आयोग के गठन को दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका के जरिए भी चुनौती दी गई है’। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता की मांग है कि जांच आयोग गठित करने की अधिसूचना पर रोक लगा दी जानी चाहिए और अदालत ने इस मामले में दिल्ली सरकार को औपचारिक नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि अदालत ने सरकार से इस मामले में केवल एक हलफनामा दाखिल करने को कहा। मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी। उन्होंने कहा कि मैं उपराज्यपाल से गृह मंत्रालय को यह जानकारी देने का आग्रह करता हूं कि अगर इस बारे में उसे असंतोष है तो वह न्यायपालिका से संपर्क कर सकता है। आयोग अपना काम करता रहेगा और हमें उम्मीद है कि आयोग की कार्रवाई में हर कोई उससे सहयोग करेगा।