केजरीवाल सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग के बीच अब भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) को लेकर शुरू हुआ विवाद खुलकर बाहर आ गया है। आप सरकार ने जंग के साथ अपने तीखे टकराव के बीच मंगलवार को संयुक्त पुलिस आयुक्त एमके मीणा को एसीबी प्रमुख का पदभार ग्रहण नहीं करने दिया। जंग ने सोमवार को मीणा को नियुक्त किया था।
इस बीच मीणा की एसीबी में नियुक्ति करने वाले दिल्ली के गृह सचिव धर्मपाल का दिल्ली सरकार ने तबादला कर दिया है। लेकिन जंग ने इस फैसले को नामंजूर कर दिया है।
उधर केंद्र सरकार का कहना है कि दिल्ली सरकार के पास अपने अधिकार क्षेत्र में काम करने वाले किसी आइएएस अधिकारी को लौटाने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि इस तरह का निर्णय केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता वाला एक प्राधिकार ही कर सकता है।
मंगलवार को दिल्ली सरकार ने मीणा को सूचित किया कि वे एसीबी से नहीं जुड़ सकते क्योंकि इस जांच एजंसी में अनुमोदित संयुक्त आयुक्त का पद नहीं है जबकि इन अधिकारी ने कहा कि वे उपराज्यपाल के आदेश का पालन करेंगे। सूत्रों के मुताबिक, संयुक्त आयुक्त मीणा ने मंगलवार को एसीबी के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक भी की।
गौरतलब है कि उपराज्यपाल नजीब जंग ने सोमवार को दिल्ली पुलिस के संयुक्त आयुक्त मीणा को एसीबी का प्रमुख नियुक्त किया था जबकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस पद के लिए एसएस यादव को चुना था। पहले अतिरिक्त आयुक्त स्तर के अधिकारी एसीबी के प्रमुख हुआ करते थे। लेकिन उपराज्यपाल ने इस जांच एजंसी के प्रमुख का दर्जा अतिरिक्त आयुक्त से बढ़ाकर संयुक्त आयुक्त कर दिया। मीणा फिलहाल नई दिल्ली क्षेत्र के संयुक्त पुलिस आयुक्त के रूप में काम कर रहे हैं और उपराज्यपाल के आदेश में कहा गया है कि वे एसीबी का अतिरिक्त प्रभार संभालेंगे।
इस बीच अरविंद केजरीवाल सरकार ने मीणा को नियुक्त करने के उपराज्यपाल के कदम की आलोचना की है। आप सरकार और जंग पिछले महीने दिल्ली मेंकार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर भिड़ गए थे और उनके बीच सत्ता संघर्ष छिड़ गया था।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एक बयान में कहा कि आपातकाल जैसे हालात पैदा कर भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के नए प्रमुख का पद सृजित करने की अवैध कोशिश की गई है। वे ऐसी स्थिति पैदा कर रहे हैं ताकि एसीबी को अपने क्षेत्राधिकार में ले आएं। उन्होंने आरोप लगाया कि एसीबी की अगुवाई के लिए उपराज्यपाल की ओर से नियुक्त अधिकारी ने उन्हें फंसाने के लिए अप्रैल में जंतर मंतर पर एक रैली में एक किसान की आत्महत्या को हत्या बताने की कोशिश की थी।
इस बीच केंद्र ने कहा है कि दिल्ली सरकार के पास अपने अधिकार क्षेत्र में काम करने वाले किसी आइएएस अधिकारी को लौटाने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि इस तरह का निर्णय केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता वाला एक प्राधिकार ही कर सकता है। एक शीर्ष अधिकारी ने आज यह बात कही।
दिल्ली सरकार के अपने गृह सचिव धर्मपाल की सेवाओं को केंद्रीय गृह मंत्रालय को लौटाने के दिल्ली सरकार के आदेश की ओर ध्यान दिलाते हुए अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार के पास इस तरह का निर्णय एकपक्षीय ढंग से करने का कोई अधिकार नहीं है।
वास्तव में अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) काडर सेवा से संबधित आइएएस अधिकारी जहां तैनात होते हैं, वहां की किसी भी सरकार को किसी अधिकारी को लौटाने का अधिकार नहीं होता।
अधिकारी ने कहा, एजीएमयूटी से संबंधित आइएएस अधिकरियों का आबंटन और वापस लौटाने का काम एजीएमयूटी काडर का संयुक्त काडर प्राधिकार (जेसीए) करता है। जेसीए में दिल्ली, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और गोवा के मुख्य सचिव शामिल होते हैं और केंद्रीय गृह सचिव इसकी अध्यक्षता करता है।