राष्ट्रीय राजधानी में अधिकारों के बढ़ते टकराव के बीच केंद्र ने शुक्रवार को दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग का समर्थन किया। केंद्र ने स्पष्ट किया कि जंग के लिए नौकरशाहों की नियुक्ति जैसे मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से सलाह मशविरा करना अनिवार्य नहीं है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे दिल्ली की जनता की पीठ में छुरा घोंपने वाला और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इसे तबादला-तैनाती उद्योग बनाने वालों की जीत बताया है। वहीं केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि दिल्ली में शक्तियों के बंटवारे को लेकर पैदा विवाद राजनीतिक नहीं बल्कि संवैधानिक मुद्दा है। गृह मंत्रालय ने स्पष्टीकरण नोट जारी किया है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी गजट अधिसूचना में कहा-उपराज्यपाल के पास सेवा, लोक व्यवस्था, पुलिस और भूमि से जुड़े मामलों में क्षेत्राधिकार होगा। वे सेवाओं से जुड़े विषयों में अपने विवेक का इस्तेमाल करके जरूरत पड़ने पर मुख्यमंत्री से सलाह मशविरा कर सकते हैं। यह पूर्णत: स्थापित है कि जहां कोई विधायी शक्ति नहीं होती है, वहां कोई कार्यकारी शक्ति भी नहीं होती है क्योंकि कार्यकारी शक्ति विधायी शक्ति के साथ चलती है।
अधिसूचना के मुताबिक, लोक व्यवस्था, पुलिस, भूमि और सेवा दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की विधानसभा के दायरे से बाहर हैं। इसलिए दिल्ली की एनसीटी सरकार के पास इन विषयों पर कोई कार्यकारी शक्ति नहीं है।
गजट अधिसूचना में कहा गया कि उपराज्यपाल लोक व्यवस्था, पुलिस, भूमि और सेवा से जुड़े मामलों में राष्ट्रपति के समय-समय पर उन्हें प्रदत्त किए जाने के अनुसार केंद्र सरकार का कार्य और शक्तियों का निर्वाह करेंगे और उपराज्यपाल ‘सेवा’ के मामले में उचित महसूस होने पर अपने विवेक से दिल्ली के मुख्यमंत्री का नजरिया प्राप्त कर सकते हैं। इसमें कहा गया कि भ्रष्टाचार निरोधक शाखा पुलिस थाना केंद्र सरकार की सेवाओं वाले अधिकारियों, कर्मचारियों और पदाधिकारियों के खिलाफ अपराधों पर संज्ञान नहीं लेगा।
उपराज्यपाल के पिछले हफ्ते वरिष्ठ नौकरशाह शकुंतला गैमलिन को कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्त करने से सत्तारूढ़ आप और उपराज्यपाल के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई थी।
केजरीवाल ने उपराज्यपाल के अधिकार पर सवाल खड़े करते हुए उन पर प्रशासन पर नियंत्रण हासिल करने का प्रयास करने का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री ने मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप की भी मांग की।
अधिसूचना में कहा गया कि आइएएस, आइपीएस सेवा के अधिकारियों वाले केंद्र शासित प्रदेश कैडर दिल्ली, चंडीगढ़, अंडमान निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, दमन दीव, दादर नगर हवेली, पुडुचेरी जैसे केंद्र शासित प्रदेशों और अरुणाचल प्रदेश, गोवा और मिजोरम जैसे राज्यों के लिए समान है जो गृह मंत्रालय के जरिए केंद्र सरकार द्वारा संचालित होता है।
अधिसूचना जारी किए जाने के कुछ ही घंटे के बाद मुख्यमंत्री ने कहा-यह उनकी सरकार के भ्रष्टाचार रोधी प्रयासों को लेकर भाजपा और केंद्र सरकार की घबराहट को जाहिर करता है। जंग तो महज एक चेहरा हैं और उन्हें आदेश पीएमओ से मिल रहे हैं। आजादी के पहले इंग्लैंड की महारानी यहां वायसराय को अधिसूचना भेजा करती थीं। अब जंग साहब वायसराय हैं और पीएमओ लंदन है। आप सरकार अधिसूचना पर संविधान विशेषज्ञों से राय ले रही है और उसी के तहत फैसला किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा दिल्ली में अपने अधिकारियों को चाहती हैं। यही कारण है कि वे उपराज्यपाल के जरिए तबादला-तैनाती उद्योग पर नियंत्रण चाहती है। इस अधिसूचना से केंद्र ने दिल्ली की जनता के पीठ में छुरा भोंका है। इस अधिसूचना के अनुसार भ्रष्टाचार निरोधक शाखा पुलिस स्टेशन अधिकारियों, कर्मचारियों और केंद्र सरकार की सेवाओं के पदाधिकारियों के खिलाफ अपराध का संज्ञान नहीं लेगी। वे कौन लोग हैं जिन्हें मोदी सरकार बचाने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्रवाई भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने जैसा है। केजरीवाल ने दावा किया कि उनकी सरकार दिल्ली के इतिहास की सबसे ईमानदार सरकार है। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल ने कभी भी दिल्ली की जनता के लिए बिजली पानी की आपूर्ति के बारे में नहीं पूछा। उनकी सिर्फ तबादलों और तैनातियों में रुचि है। मोदी सरकार तीन भाजपा विधायकों के साथ पिछले दरवाजे से दिल्ली को चलाने का प्रयास कर रही है।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह भ्रष्टाचार और फलते-फूलते तबादला-तैनाती उद्योग के समक्ष घुटने टेक रहे हैं जिसे आप सरकार ने पिछले तीन महीने में बंद कर दिया था। पहले तबादलों के लिए भारी लेनदेन होती थी। आप सरकार के कार्यकाल में यह समाप्त हो गया है। कांग्रेस और भाजपा के लोग दिल्ली में ठेका पाने में नाकाम हो गए। तब वे पीएमओ गए।
केजरीवाल ने कहा-अधिसूचना का मूल बिंदु इसके सबसे अंतिम पैरे में है, जो कहता है कि दिल्ली सरकार की अपराध निरोधक शाखा केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकती। हमारी सरकार ने पिछले तीन महीने में भ्रष्टाचार को कम किया है। 36 अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है और 52 अधिकरियों को निलंबित किया गया है। भ्रष्ट अधिकारियों के बीच आतंक है और हमारी सरकार दिल्ली के इतिहास में सबसे ईमानदार सरकार है। अब केंद्र चाहता है कि अगर भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) केंद्र सरकार के कर्मचारियों में किसी तरह का भ्रष्टाचार देखती है तो इसे नजरअंदाज कर देना चाहिए।
इससे पहले केजरीवाल ने अपने ट्वीट में कहा-भाजपा पहले दिल्ली चुनाव हार गई। आज की अधिसूचना हमारे भ्रष्टाचार रोधी प्रयासों के बारे में भाजपा की घबराहट को दिखाती है। भाजपा आज फिर हार गई।
क्या कहती है अधिसूचना : उपराज्यपाल के पास सेवा, लोक व्यवस्था, पुलिस और भूमि से जुड़े मामलों में क्षेत्राधिकार होगा। वे सेवाओं से जुड़े विषयों में अपने विवेक का इस्तेमाल करके जरूरत पड़ने पर मुख्यमंत्री से सलाह मशविरा कर सकते हैं। लोक व्यवस्था, पुलिस, भूमि और सेवा दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की विधानसभा के दायरे से बाहर हैं। इसलिए दिल्ली की एनसीटी सरकार के पास इन विषयों पर कोई कार्यकारी शक्ति नहीं है। उपराज्यपाल लोक व्यवस्था, पुलिस, भूमि और सेवा से जुड़े मामलों में राष्ट्रपति के समय-समय पर उन्हें प्रदत्त किए जाने के अनुसार केंद्र सरकार का कार्य और शक्तियों का निर्वाह करेंगे और उपराज्यपाल ‘सेवा’ के मामले में उचित महसूस होने पर अपने विवेक से दिल्ली के मुख्यमंत्री का नजरिया प्राप्त कर सकते हैं।
आप सरकार का वार, पीएमओ का मोहरा जंग
जंग तो महज एक चेहरा हैं और उन्हें आदेश पीएमओ से मिल रहे हैं। आजादी के पहले इंग्लैंड की महारानी यहां वायसराय को अधिसूचना भेजा करती थीं। अब जंग साहब वायसराय हैं और पीएमओ लंदन है। आप सरकार अधिसूचना पर संविधान विशेषज्ञों से राय ले रही है और उसी के तहत फैसला किया जाएगा।
भ्रष्टाचार के साथ केंद्र
अधिसूचना का मूल बिंदु इसके सबसे अंतिम पैरे में है, जो कहता है कि दिल्ली सरकार की अपराध निरोधक शाखा केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकती। हमारी सरकार ने पिछले तीन महीने में भ्रष्टाचार को कम किया है। भ्रष्ट अधिकारियों के बीच आतंक है। अब केंद्र चाहता है कि अगर भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) केंद्र सरकार के कर्मचारियों में किसी तरह का भ्रष्टाचार देखती है तो इसे नजरअंदाज कर देना चाहिए।
तबादला-तैनाती उद्योग की जीत
प्रधानमंत्री और गृह मंत्री राजनाथ सिंह भ्रष्टाचार और फलते फूलते तबादला-तैनाती उद्योग के समक्ष घुटने टेक रहे हैं। पहले तबादलों के लिए भारी लेनदेन होती थी। आप के कार्यकाल में यह समाप्त हो गया है। कांग्रेस और भाजपा के लोग दिल्ली में ठेका पाने में नाकाम हो गए। तब वे पीएमओ गए।
दिग्विजय सिंह का ट्वीट भारत सरकार को तय करना चाहिए कि चुने गए मुख्यमंत्री के अधिकारों पर अंकुश नहीं होना चाहिए, यदि राजग-भाजपा सहकारी संघवाद में यकीन करते हैं। मुख्यमंत्री को अधिकारियों के तबादले और तैनाती पर फैसले नहीं लेने देना जनादेश को धता बताना है।