बुरे पर परदा
सारे ‘गुडी-गुडी’ कार्यों को मीडिया के सामने रख विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपनी पीठ थपथपा ली। दरअसल, मार्च में नए कुलपति की नियुक्ति जो होनी है! प्रशासन से किसी पदाधिकारी ने डीयू में शोध में अब तक का रेकार्ड रिजल्ट की बात की तो दूसरी ओर से सालों से रुके प्रमोशन-नियुक्तियों का ब्योरा देकर छह महीने में विश्वविद्यालय को पटरी पर लाने के दावे किए गए।
लेकिन पत्राचार से स्नातक कर रहे छात्रों की सुध किसे भला। बीते दिनों स्कूल आफ लर्निंग के छात्रों की आपबीति ने कई चिट्ठा खोल दिया। सैकड़ों छात्रों के रिजल्ट मे हुई गड़बड़ियां सामने आई। रिजल्ट की बाट जोह रहे बड़ी संख्या में मौजूद छात्रों को ‘अनुपस्थित और रिजल्ट अवेटेड (आरए)’ बताया गया है। यह अलग बात है कि बाद में प्रशासन इसे दुरुस्त करने को आगे आया। कहना न होगा कि छह महीने के कार्यकाल में किए अपने कार्यों के लेखा जोखा प्रस्तुति में कुलपति कई चीजों पर परदा डाल गए। किसा ने ठीक ही कहा- ‘अच्छे की चर्चा और बुरे पर परदा’।
जीत का गणित
नगर निगम का कार्यकाल बहुत कम दिनों का बचा है। लेकिन उपचुनाव की घोषणा हो गई तो उम्मीदवार भी उसी हिसाब से चुनाव में रुचि लेना शुरू कर दिए हैं। दिल्ली नगर निगम के पांच वार्डो के उपचुनाव में तीनों पार्टियों ने उम्मीदवार घोषित कर यह संदेश भी दे दिया है कि अगर वे विजयी होते हैं तो आगे भी उन्हें ही मौका दिया जाएगा।
इस संदेश का असर इतना हुआ कि उम्मीदवार प्रचार में लग गए हैं। कोने-कोने में बैठक शुरू है। बेदिल ने एक उम्मीदवार से पूछा कि आपका कार्यकाल तो साल भर से ज्यादा नहीं होगा फिर इतनी हाय तौबा क्यों कर रहे? तो उनका जबाब था कि आगे का भी संदेश है, फिर जीता तो कार्यकाल छह साल का हो गया न? एक साल उपचुनाव का और पांच साल आगे का।
योजना की नाकामी
वर्षों पहले नोएडा में लोगों को स्वरोजगार का जरिया उपलब्ध कराने के लिए निकाली प्लेटफार्म योजना की तर्ज पर अब प्राधिकरण की वेंडर जोन योजना के फेल होने के आसार बनते जा रहे हैं। प्लेटफार्म योजना के तहत एक ही जगह पर दर्जनों की संख्या में कटिंग सैलून के लिए प्लेटफार्म आबंटित कर दिए गए थे। एक इलाके में एक ही तरह की दर्जनों दुकानें होने से पूरी योजना फेल साबित हुई और कारोबार गुलजार नहीं हो सके।
अब इसी तर्ज पर प्राधिकरण ने आनन-फानन में जो प्लेटफार्म योजना निकाली है, वह सड़क के किनारों पर एक लाइन में हैंं। वेंडर जोन के अधिकांश जगहों पर धूप से बचने के लिए पेड़ आदि नहीं हैं। साथ ही एक ही कारोबार करने वाले मसलन छोले कुल्चे की रेहड़ी लगाने वाले आधा दर्जन से ज्यादा लोगों को एक जगह आबंटित किए जाने से खर्च निकाल पाना मुश्किल हो रहा है। चूंकि अभी वेंडर जोन में आबंटित जगहों पर रेहड़ी लगाने से शुल्क नहीं लिया जा रहा है लेकिन निर्धारित शुल्क लागू होने के बाद अधिकांश लोगों वहां पर कारोबार नहीं करने की इच्छा जता चुके हैं।
वरिष्ठ की वरिष्ठता
बीते दिनों प्रदेश कार्यालय में एक महत्त्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। पर पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री किसी कारण से बैठक में शामिल नहीं हो सके। अब प्रदेश अध्यक्ष का फर्ज बनता था कि पार्टी बैठक के बारे में जानकारी नेताजी को दी जाए तो उन्होंने इसके लिए सोशल मीडिया का रास्ता चुना। ट्वीट कर अध्यक्ष ने वरिष्ठ नेता को अवगत कराया कि दिल्ली प्रदेश प्रभारी समेत कई वरष्ठि नेताओं ने बैठक में हिस्सा लिया था।
उसके बाद क्या था, पार्टी के अंदरखाने आवाज उठने लगी कि जब पार्टी के वरिष्ठ नेता ही बैठकों में हिस्सा नहीं लेंगे तो पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के बीच क्या संदेश जाएगा। वह भी ऐसे वक्त में जब दिल्ली में पांच सीटों पर निगम के उपचुनाव होने हैं। आयोजित पार्टी में भी निगम के उपचुनाव को लेकर विचार-विमर्श किया गया था। पर कहते हैं कि वरिष्ठ हैं। वह तो अपनी मर्जी का ही काम करेंगे।
प्रवक्ता की चुटकी
कांग्रेस हाल ही में गाजीपुर बार्डर पर पहुंची है। बार्डर से सामने आई एक फोटो कांग्रेस को न निगलते बन रही है और न ही उगलते। दरअसल कांग्रेस की रैली में प्रयोग की गई फोटो में एक बच्चे को गाड़ी की छत पर बैठाकर कांग्रेस का समर्थन करते दिखाया गया है। इस पर भाजपा की एक प्रवक्ता ने कांग्रेस की फोटो पर चुटकी ली और कहा कि इस देश में बच्चों से बाल मजदूरी नहीं कराई जाती। क्या कल्याणपुरी की रैली में कार्यकर्ता कम पड़ गए। क्या कांग्रेस के सारे कार्यकर्ता गाजीपुर बार्डर पर बादाम लाने भेजे हैं।
-बेदिल