ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी और अल कायदा के चीफ अल जवाहिरी को मार गिराने वाला अमेरिका का MQ-9B प्रिडेटर ड्रोन जल्दी ही भारत आएगा। LAC के साथ हिंद महासागर में सतर्कता बढ़ाने के लिए तीन अरब डॉलर से अधिक की लागत से प्रिडेटर ड्रोन खरीदने को लेकर भारत की अमेरिका के साथ बातचीत अंतिम चरण में है। ये भारत के पास होगा तो चीन और पाकिस्‍तान के मंसूबों को नाकाम करने में सेना को आसानी होगी।

ड्रोन कितना खतरनाक है इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि अमेरिका ने अपने सैनिकों को अफगानिस्तान भेजे बिना अलकायदा के जवाहिरी को मार गिराया। जवाहिरी वही शख्स था जिसने ओसामा बिन लादेन को अमेरिका पर 9/11 के हमलों की साजिश रचने में मदद की थी। ड्रोन को अमेरिका से खरीदने की प्रक्रिया आखिरी चरण में है। भारत ‘हंटर-किलर’ प्रीडेटर से लैस MQ-9B ड्रोन को खरीदने का मन बना चुका है।

ये ड्रोन हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस रहता है। MQ-9B रीपर पायलट रहित होता है। इसे जॉय स्टिक के जरिए दूर बैठकर कंप्यूटर से उड़ाया जाता है। इसके एक प्रकार का उपयोग हेलफायर मिसाइल को लॉन्च करने के लिए किया गया था। रक्षा क्षेत्र की प्रमुख अमेरिकी कंपनी जनरल एटॉमिक्स के ड्रोन को खरीदने के लिए सरकारी स्तर पर बातचीत चल रही है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक मोदी सरकार हिंद महासागर क्षेत्र के साथ LAC पर अपने निगरानी तंत्र को मजबूत करने के लिए 3 बिलियन डॉलर के रक्षा सौदे को सिरे चढ़ाने की कोशिश में है। अमेरिका भी ड्रोन भारत को देने का इच्छुक है, क्योंकि वो रूस पर भारत की निर्भरता को कम से कम करके खत्म करना चाहता है। जनरल एटॉमिक्स ग्लोबल कॉरपोरेशन का कहना है कि इस ड्रोन की खरीद के लिए बातचीत अपने अंतिम चरण में है।

अमेरिका के साथ भारत की 2+2 बातचीत के दौरान इस ड्रोन की खरीद का मसौदे का जिक्र हुआ था। इस साल अप्रैल में दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों ने कई मसलों पर वार्ता की थी। मौजूदा समय में भारत के साथ अमेरिकी संबंध पहले से बेहतर हुए हैं। 2016 के बाद से भारत वाशिंगटन का मेजर डिफेंस पार्टनर बन चुका है। दोनों के बीच तकनीकी हत्सांतरण भी हो रहा है।