नेहा झा

गाजियाबाद में वसुंधरा के सेक्टर-9 के पास की किराना दुकान। पूछा कि भाई साहब एसिड मिलेगा क्या? एक बार तो उसने पूछा क्या कहा, फिर दोहराने पर न में सिर हिलाया। उससे पूछा कि एसिड की जगह क्या इस्तेमाल करें? जवाब मिलता है कि एसिड तो नहीं लेकिन एसिड जैसा कुछ मिल जाएगा। एसिड जैसा कुछ मतलब? मतलब कि उसमें एसिड होगा, एसिड वाला सारा काम कर देगा। यही हाल इंदिरापुरम और दिल्ली में मयूर विहार के इलाकों का था। ‘एसिड जैसी’ चीज बिक रही है।

तेजाबी हमलों को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के जारी निर्देशों के बावजूद बाजार में ‘एसिड जैसी’ चीजें बिक भी रही हैं और महिलाओं पर इस तरह के हमले भी जारी हैं। पिछले दिनों आम आदमी पार्टी (आप) की नेता सोनी सोरी पर भी तेजाब जैसे किसी रसायन से हमला किया गया जिससे उनका चेहरा झुलस गया और एक आंख पर भी असर पड़ा है। राजनीतिक मामले में शायद यह पहला इस तरह का हमला है। इसके अलावा जेएनयू मामले में देशद्रोह के आरोपों का सामना कर रहे उमर खालिद की बहन को भी फोन पर कुछ अज्ञात लोगों ने उन पर एसिड हमला करने की धमकी दी थी।

आम दुश्मनी से लेकर तेजाब अब राजनीतिक हमलों तक पहुंच गया है। तेजाबी हमले के बढ़ते दायरे पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए लेखिका मैत्रेयी पुष्पा ने कहा कि हमारी राजनीति अब एसिड हमलों तक सिमट गई। पहले ऐसे हमले व्यक्तिगत रंजिशों के कारण हुआ करते थे जो अब राजनीति में भी प्रवेश कर गए हैं। सोनी सोरी पर हुए हमले को निंदनीय बताते हुए उन्होंने कहा कि समानता के अधिकार के लिए हम महिलाओं से राजनीति में हस्तक्षेप बढ़ाने की बात करते हैं। लेकिन अब स्थितियां ऐसी होती जा रही हैं कि अगर वे अपनी राजनीतिक शक्तियों का प्रदर्शन करें तो उन पर तेजाबी हमले किए जाते हैं।

उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का डर है कि आगे और भी भयानक स्थितियां पैदा हो सकती हैं। यह बर्बरता आगे न बढ़ जाए। सोनी सोरी के व्यक्तित्व से कुछ राजनीतिज्ञ डरे हुए हैं। उनपर पहले भी इस तरह के हमले होते रहे हैं। उनके विरोधी मुकाबले से डरते हैं और मानसिक दिवालिएपन के कारण ऐसी घटनाओं को अंजाम देते हैं। एसिड हमलों को रोकने के लिए जारी किए गए सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों पर वे कहती हैं कि तेजाब स्त्री विरोधी मामला है। ऐसे में कड़े नियम इन घटनाओं को पूरी तरह खत्म नहीं कर सकते बल्कि सामाजिक सोच बदलने से ही यह संभव होगा।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के जारी आंकड़ों के मुताबिक 2014 में तेजाबी हमलों के कुल 309 मामले दर्ज किए गए। हालांकि इन मामलों का ब्यौरा लैंगिक आधार पर नहीं दिया गया है। लेकिन ज्यादातर मामले महिलाओं से जुड़े हैं। 2013 से पहले एसिड हमलों को अलग अपराध नहीं माना गया था। अब भारतीय दंड संहिता 326-ए और 326-बी के तहत ऐसे मामले दर्ज किए जाते हैं और आरोपी को न्यूनमत दस साल की सजा का प्रावधान है।

सुप्रीम कोर्ट के जारी निर्देशों के मुताबिक, एसिड की अवैध बिक्री और खरीदारी को गैरजमानती अपराध की श्रेणी में शामिल है। एसिड की बिक्री के लिए दुकानदारों के पास वैध लाइसेंस होना चाहिए। साथ ही उन्हें बिक्री और खरीदार का रिकॉर्ड भी रखना होगा। तेजाब केवल ऐसे लोगों की ही बेचा जा सकता है जिनके पास सरकार के जारी फोटो पहचान पत्र हो। इसके अलावा निर्देशों के मुताबिक, तेजाब हमले के पीड़ितों को सभी अस्पतालों को मुफ्त में इलाज मुहैया कराना होगा। साथ ही एक सर्टिफिकेट भी जारी करना होगा जिसपर तेजाब हमले से पीड़ित होने की बात लिखी हो। इससे पीड़ितों को आगे भी इलाज कराने में सुविधा होगी।