असम में नागरिकता रजिस्टर का अंतिम ड्राफ्ट जारी होने के बाद अवैध प्रवासी और घुसपैठियों का मुद्दा एक बार फिर सियासी बहस के केन्द्र में आ गया है। संसद से लेकर सड़क पर इस मुद्दे पर बहस हो रही है। भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि जिनके नाम अंतिम ड्राफ्ट में नहीं हैं उन्हें नागरिकता साबित करने का पर्याप्त मौका दिया जाएगा। बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस और टीएमसी समेत कुछ राजनीतिक दल वोट बैंक की राजनीति की वजह से एनआरसी के ड्राफ्ट का विरोध कर रहे हैं। इस बीच आम आदमी पार्टी के बागी नेता कुमार विश्वास ने इस मुद्दे पर बीजेपी के स्टैंड का समर्थन किया है। कुमार विश्वास ने कहा है कि क्या वोट बैंक के लिए अवैध घुसपैठियों के पक्ष में खड़े होने वाले लोग सचमुच में देश के प्रतिनिधि हैं। कुमार विश्वास ने सवाल खड़ा किया कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में घुसपैठिये देश में घुसे कैसे? कुमार विश्वास ने ट्वीट किया, “आंतरिक सुरक्षा के गंभीर संकट झेल रहे हमारे देश में केवल वोट-बैंक व तुष्टिकरण के लिए अवैध घुसपैठियों के पक्ष में खड़े होने वाले क्या सचमुच देश के प्रतिनिधि हैं? इन सरकारों के रहते करोड़ों लोग देश में घुस कैसे गए ? भारतीय नागरिकता को स्वाभिमान रहने दीजिए, देश है धर्मशाला नहीं।”
आंतरिक सुरक्षा के गंभीर संकट झेल रहे हमारे देश में केवल वोट-बैंक व तुष्टिकरण के लिए अवैध घुसपैठियों के पक्ष में खड़े होने वाले क्या सचमुच देश के प्रतिनिधि हैं ? इन सरकारों के रहते करोड़ों लोग देश में घुस कैसे गए ? भारतीय नागरिकता को स्वाभिमान रहने दीजिए, देश है धर्मशाला नहीं
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) July 31, 2018
दूसरे देशों के वीज़ा भर लेने के लिए लपलपाकर लाइनों में लगने वाले इन लोगों को अपने देश की नागरिकता का ज़रा भी विशिष्टता-बोध नहीं है ?हद्द है,इसमें क्या राजनीति ?जो अपने हों उन्हें गले लगाओ जो राज्य-केंद्र सरकारों की राजनैतिक-लिप्साओं और अकर्मण्यताओं के कारण घुस गए उन्हें विदा दो https://t.co/bk4LaZj3vg
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) July 31, 2018
बता दें कि इस मुद्दे पर आज संसद में गरमागरम बहस हुई। बीजेपी नेता अमित शाह ने कहा कि ये एनआरसी ड्राफ्ट तैयार करने की योजना कांग्रेस के शासन काल में शुरू की गई थी, लेकिन कांग्रेस में इसे लागू करने की इच्छाशक्ति नहीं थी। अमित शाह ने कहा कि बीजेपी ने इच्छाशक्ति दिखाई और एनआरसी ड्राफ्ट तैयार करवा रही है। अमित शाह ने कहा, “असम समझौते पर आपके प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 14 अगस्त, 1985 को हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने अगले दिन अपने भाषण में लाल किले से इसकी घोषणा की थी। समझौते की भावना एनआरसी थी, जो बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करने में मदद करेगी। उन्होंने कहा, “आपके पास इसे लागू करने का साहस नहीं था। हमारे पास साहस था और हम इसे कर रहे हैं। यहां हर कोई (विपक्ष में) 40 लाख लोगों को लेकर चिंतित है। इन 40 लाख में कितने बांग्लादेशी घुसपैठियां हैं? आप किसकी रक्षा करना चाहते हैं? आप बांग्लादेशी घुसपैठियों की रक्षा करना चाहते हैं?” विपक्षी सांसदों ने शाह की टिप्पणी का जोरदार विरोध किया और वे सरकार और भाजपा के खिलाफ नारे लगाते हुए अध्यक्ष की कुर्सी के सामने आकर खड़े हो गए।