देश विदेश में विकास और महंगी जमीन को लेकर प्रसिद्ध नोएडा के प्राधिकरण को अपने लिए एक स्थायी आशियाने की आस है। सुनने में अजीब सा लगता है लेकिन यह सच है। साल 1976 में अस्तित्त्व में आए नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण, यानी नोएडा के पास अपना स्थायी कार्यालय नहीं है। डेढ़ दशक से नोएडा का नया कार्यालय बनने की बात चल रही है।

तमाम अवरोधों को पार करते हुए सेक्टर-96 में नोएडा प्राधिकरण का कार्यालय बनाने का काम शुरू हुआ, जिसका निर्माण 2019 तक पूरा होना था। बीच में सरकार बदलने के बाद एक बार फिर प्रस्ताव में बदलाव कर करीब 175 करोड़ रुपए का काम कम कर दिया गया। निर्माण कंपनी को तीन बार समयवृद्धि दी गई, उसके बाद भी काम पूरा नहीं होने पर उसे काली सूची में डाल कर अन्य किसी एजंसी से बचा हुआ करीब 70 करोड़ रुपए का काम करने की अब बात की जा रही है। देखना होगा कि कब तक काम पूरा होकर नोएडा प्राधिकरण को अपना आशियाना मिलेगा।

अब आई बारी

दिल्ली में एक विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं और पार्टियों ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है। एक पार्टी ने अपने उस चेहरे को दांव पर लगाया है जो रोज शहर की सफाई और अन्य व्यवस्था पर सवाल उठाते थे। अब जब चुनाव में इनकी बारी आई है तो लोग काफी उम्मीद भरी निगाहों से इनको देख भी रहे हैं। हालांकि सभी को इनकी पिछली पारी भी याद है जब वह एक चुनाव में पिछड़ गए थे।

इस बार तो इनका मुकाबला और कड़ा दिख रहा है, क्योंकि जो सिख बहुल है उसमें पूरब की दावेदारी है। बेदिल ने किसी को कहते सुना, पहली बार चुनाव लड़े तो वहां मिश्रित आबादी के साथ ही पूरब के लोगों का अधिपत्य थोड़ा अधिक है। इस बार तो दांव बिल्कुल विपरीत जगह लगा दिया गया है। अब लोग कह रहे हैं कि पार्टी का उम्मीदवार जीतेगा या सिर्फ प्रचार ही करेगा, यह आगे पता चलेगा।

अखबार का दौर

बीते दिनों दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में एक विशेष चर्चा है। इसे अखबार बनाम सोशल मीडिया खेमे की बहस भी माना जा सकता है। दरअसल मौजूदा दौर को केवल सोशल मीडिया का दौर बताने और अखबारों के वजूद को कमतर आंकने वालों के लिए बीते दिनों कुत्ता घुमाने के आरोपी आइएएस दंपति पर गिरी गाज गले से नहीं उतर रही। ऐसी ही एक बहस होती दिखी बीते दिनों लुटियन दिल्ली में।

मौका था एक प्रेस कांफ्रेस का। 14-पंत मार्ग पर यह प्रेस कांफ्रेस आयोजित थी। प्रेस कांफ्रेस के बाद नेताजी सहित मंच पर बैठे तमाम पदाधिकारी चाय पर अनौपचारिक चर्चा में थे। तभी सोशल मीडिया का गुणगान कर रहे उससे जुड़े कुछ लोगों को बीच बहस में रोकते हुए ‘नेताजी’ ने कहा, कौन कहता है कि अखबारों का दौर खत्म हो गया! एक खबर छपी और आइएएस दंपति दिल्ली से बाहर कर दिए गए! ज्यादातरों ने सिर ‘हां’ में हिलाया और सहमति जताई कि नेताजी सही कह रहे हैं!

‘जीरो’ का खेल

दिल्ली पुलिस की ‘जीरो एफआइआर’ कभी-कभी बड़ा मामला खोल देती है। ऐसे ही एक ‘जीरो एफआइआर’ से बाबा अभी जेल की सलाखों में बंद हैं। पिछले दिन फिर उत्तरी दिल्ली पुलिस ने एक ‘जीरो एफआइआर’ दर्ज की। इस बार राजस्थान के एक मंत्री के पुत्र के खिलाफ यह जीरो दर्ज किया गया। बेदिल ने जब जिले के एक पुलिस अधिकारी से इस बाबत पूछा तो उन्होंने चलताऊ लहजे में कहा कि यह कोई बड़ा मामला हमारे लिए इसलिए नहीं है क्योंकि हमने कानून के मुताबिक ‘जीरो एफआइआर’ कर संबंधित राज्य को भेज दिया है। बेदिल ने जब कहा कि इसी ‘जीरो एफआइआर’ ने कई को जेल पहुंचाया है तो अधिकारी चुप्पी साध गए।
-बेदिल