जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता डॉ. अजय आलोक को मंगलवार को पार्टी से निकाल दिया गया। कहा जा रहा है कि पार्टी के सीनियर लीडर आरसीपी सिंह से उनकी निकटता के चलते राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने यह एक्शन लिया। नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह के बीच संबंध इन दिनों अच्छे नहीं हैं अपने निकाले जाने पर अजय आलोक ने कहा, “बड़ी देर कर दी मेहरबां आते-आते…बहुत-बहुत धन्यवाद मुझे मुक्त करने के लिए, इतने साल का संबंध रहा। बहुत अच्छा रहा। मेरी सब शुभकामनाएं आप लोगों को”

पार्टी ने अजय आलोक के साथ ही पार्टी के प्रदेश महासचिव अनिल कुमार और विपिन कुमार यादव को भी तत्काल प्रभाव से जिम्मेदारियों से मुक्त करते हुए इनकी प्राथमिक सदस्यता निलंबित कर दी है। भंग समाज सुधार सेनानी के प्रकोष्ठ अध्यक्ष जितेंद्र नीरज को भी प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया गया है।

राजनीति में कब क्या और कैसे हो जाए, कुछ भी तय नहीं है। इसको लेकर अक्सर कहा जाता है कि सियासत में न तो कोई करीबी है और न ही कोई पराया है। समय और जरूरत के मुताबिक कोई भी इधर से उधर हो जाता है और कई बार लोग इधर से उधर कर दिए जाते हैं। बिहार की सत्ताधारी जनता दल यू में कुछ ऐसा ही खेल चल रहा है। जो कभी बेहद करीबी थे, वे अब सगे नहीं रह गए। इसी के साथ उनसे जुड़े लोग भी दूर कर दिए जा रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह यानी आरसीपी सिंह को जनता दल यू ने इस बार राज्‍य सभा चुनाव के लिए टिकट नहीं दिया। उनका कार्यकाल पूरा होने पर रिक्‍त हो रही सीट से झारखंड जदयू के अध्‍यक्ष खीरू महतो को जदयू ने अपना उम्‍मीदवार घोषित कर दिया था। एक वक्‍त नीतीश कुमार के सबसे अधिक करीबी रहे आरसीपी सिंह आज हाशिए पर हैं।

कभी जॉर्ज फर्नांडिस उस पार्टी के संस्‍थापक थे, जिसके आज नीतीश कुमार मुखिया हैं। जॉर्ज फर्नांडिस मुजफ्फरपुर से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री भी थे। नीतीश कुमार को सक्रिय राजनीति में लाने वाले वो ही थे। लेकिन जब दोनों के बीच तल्खी बढ़ी तो 2007 में नीतीश कुमार ने फर्नांडिस को उनकी हैसियत बता दी। उनको पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया। शरद यादव जेडीयू अध्यक्ष बनाए गए। 2009 के लोकसभा चुनाव में भी जॉर्ज का टिकट उनकी सीट नालंदा से काट लिया गया। उन्होंने मुजफ्फरपुर से निर्दलीय चुनाव लड़ा पर हार गए।

वरिष्ठ नेता शरद यादव भी कभी नीतीश के बगलगीर रहे थे पर महागठबंधन के साथ 2015 में विधानसभा चुनाव लड़ने वाले नीतीश कुमार बाद में बीजेपी के साथ चले गए। शरद यादव ने नीतीश कुमार के इस फैसले का सार्वजनिक तौर पर विरोध किया था, लेकिन नीतीश ने उन्हें उनकी जगह दिखा दी और 2017 में पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण शरद यादव को जेडीयू से निकाल दिया गया था।