उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में लोकसभा चुनाव से पहले सियासी हलचल बढ़ गई है। लगभग पचास वर्षों से सामाजिक मंचों पर एक दूसरे के खिलाफ रहने वाले राकेश टिकैत और योगराज सिंह गुट के बीच सुलह की शुरुआत हो गई है। भारतीय किसान यूनियन प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत और पूर्व मंत्री योगराज सिंह के बीच वरिष्ठ लोगों की मौजूदगी में बातचीत हुई।

किसान नेता जगबीर सिंह की हत्या में नामजद थे नरेश टिकैत

बातचीत के बाद दोनों परिवार एक होने लगे हैं। किसान नेता जगबीर सिंह की हत्या में बीकेयू अध्यक्ष नरेश टिकैत को नामजद कराया गया था। हालांकि अदालत से चौधरी नरेश टिकैत दोष मुक्त हो चुके हैं। इसके बावजूद दोनों पक्षों में मनमुटाव जगजाहिर था। कुछ गणमान्य लोगों ने आगे बढ़कर दोनों पक्षों के बीच सुलह कराई।

दोनों परिवारों में लगभग 50 साल से खींचतान चली आ रही थी। विधानसभा चुनाव 2022 से पहले भी समझौते के प्रयास हुए लेकिन कामयाबी नहीं मिली। पूर्व मंत्री योगराज सिंह वर्तमान में रालोद गठबंधन से लोकसभा के टिकट के दावेदार हैं। ऐसे में उनके इस कदम के बड़े मायने हैं।

मुजफ्फरनगर में रालोद का माना जाता प्रभाव

मुजफ्फरनगर में रालोद का काफी प्रभाव माना जाता है। यह अजीत सिंह का गढ़ रहा है। हालांकि पिछले दो चुनाव से यहां पर भाजपा के संजीव बालियान जीत रहे हैं। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में चौधरी अजीत सिंह को भी हराया था। इस बार किसान आंदोलन के बाद रालोद को मुजफ्फरनगर से काफी उम्मीद है। योगराज सिंह आरएलडी के टिकट के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं। ऐसे में यदि राकेश टिकैत और योगराज सिंह के बीच सुलह हो जाता है तो यह आरएलडी के लिए भी राहत भरी बात होगी।

बता दें कि विपक्षी दलों ने भी इंडिया गठबंधन का निर्माण किया है। यह गठबंधन विपक्षी दलों का एक समूह है जो आने वाले लोकसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए से लड़ने के लिए बनाया गया है। उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन में आरएलडी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस भी शामिल है।