Odisha Durga Puja: दुनिया में ऐसे लोग भी हैं जिनके लिए प्रेम और करुणा उनके जीवन में काफी महत्व रखता है। वो इसके लिए आस्था की सीमाओं को भी छोड़ सकते हैं। 74 वर्षीय कोहिनूर इस्लाम इसके लिए सबसे बड़ा जीवंत उदाहरण हैं। उन्होंने तीन दशकों से बिना किसी सांप्रदायिक भाव के अपने घर में ही दुर्गा पूजा का आयोजन किया है। वो लगातार हर साल इसका आयोजन करते हैं। गंगराज ग्राम पंचायत में आने वाले ग्राम तेंतुलीडिंगा में कोहिनूर इस्लाम का घर है और आज भी उनके यहां दुर्गा पूजा का पाठ शुरू हो रहा है।

साल 1986 में पहली बार गांव की महिलाओं को दुर्गा पूजा में भाग लेने के लिए बारीपदा शहर की यात्रा करते हुए देखकर, उनके पास अपने गांव में इस त्योहार शुरू करने का विचार आया। हम अपनी पूजा क्यों नहीं कर सकते, उन्होंने पूछा? जब उन्होंने ग्रामीणों के साथ अपने सुझाव साझा किए, तो वे उनके प्रस्ताव पर सहमत हो गए और स्थानीय लोगों से चंदा इकट्ठा कर तेंतुलिंग दुर्गा पूजा समिति की स्थापना की गई। तब से कहिनूर करीब 500 सदस्यों के साथ समिति प्रमुख की जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं।

ग्रामीणों के समर्थन से 37 सालों से जारी है दुर्गापूजाः कोहिनूर

कोहिनूर ने कहा, “यह केवल ग्रामीणों के समर्थन और प्रोत्साहन की वजह से है कि मैं इस समिति को चला पाने में सक्षम हूं और पिछले 37 वर्षों से दुर्गा पूजा उत्सव का सफलतापूर्वक आयोजन कर रहा हूं।” उनकी दो बेटियां ताहा परवीन और जोहा ने समिति को चलाने में वित्तीय सहायता दी। ताहा पुणे में एक यूएस-आधारित कंपनी में कार्यकारी हैं जबकि छोटी बहन जोहा अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर हैं। उनके पिता पिछले 37 सालों से इतनी भक्ति के साथ जो कर रहे हैं दोनों बेटियों को उस पर गर्व है।

21 सालों से पुजारी का काम कर रहे हैं परितोष नंदा

तेंतुलिंग में दुर्गापूजा उत्सव को बेहतरीन तरीके से मनाने के पीछे सबसे बड़ी वजह ये होती है कि इसमें विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों के लोग जुड़े होते हैं। ये लोग समिति को सुचारु रूप से चलाने के लिए समिति को वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं। परितोष नंदा, जो कि एक पुजारी के तौर पर पिछले 21 सालों से काम कर रहे हैं उन्होंने बताया, “कहिनूर के दिल में पूजा टावरों के लिए विस्तृत सजावट, रोशनी और पंडाल के लिए अपार भक्ति है।” पूजा कमिटी के बिजान दास, दीपक मिश्रा, भागीरथी नायक और पूजा कमिटी के अन्य सदस्यों ने बताया, “अनुष्ठान समाप्त होने के बाद, हम गाँव में रहने वाले सभी समुदायों के लोगों को प्रसाद वितरित करते हैं। हमारे बड़े भाई कहिनूर की वजह से ही पिछले 37 सालों से पूजा समारोह सफलतापूर्वक संपन्न हो रहा है।”