मुंबई का चर्चित नाम और कभी अंडरवर्ल्ड से राजनीति तक सफर करने वाला गैंगस्टर-से-नेता बने अरुण गवली आखिरकार 17 साल बाद अपने घर लौट आए। सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद गवली बुधवार को नागपुर केंद्रीय जेल से रिहा हुए और विमान से मुंबई पहुंचकर रात करीब नौ बजे भायखला के मशहूर दगड़ी चॉल स्थित अपने आवास में दाखिल हुए।

76 वर्षीय पूर्व विधायक गवली के घर पहुंचते ही परिवार और समर्थकों ने उनका हीरो जैसा स्वागत किया। फूलों की बरसात हुई, गुलाल उड़ाया गया और इलाके में मिठाइयां बांटी गईं। घर में प्रवेश करते समय उनके करीबी और परिजन उन्हें घेरकर तस्वीरें खिंचवाते दिखे। इस मौके पर मीडिया का भारी जमावड़ा भी मौजूद रहा।

मुंबई की दगड़ी चॉल से ही चर्चा में आए थे गवली

गवली का नाम मुंबई की दगड़ी चॉल से ही चर्चा में आया और बाद में उसने अपना संगठन अखिल भारतीय सेना बनाया। राजनीति में उतरकर वह 2004 से 2009 तक चिंचपोकली विधानसभा सीट से विधायक भी रहे।

सुप्रीम कोर्ट ने 28 अगस्त को आदेश जारी कर गवली को जमानत दी थी। वह शिवसेना पार्षद कमलाकर जामसांडेकर की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे थे। न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि गवली 17 साल से अधिक समय से जेल में है और उसकी अपील अभी लंबित है।

एक अधिकारी ने बताया कि सभी कानूनी औपचारिकताओं के बाद गवली बुधवार दोपहर करीब 12:30 बजे नागपुर जेल से बाहर आए। परिवार, वकील और समर्थकों ने वहां उसका स्वागत किया। कड़ी सुरक्षा में उसे नागपुर हवाई अड्डे ले जाया गया, जहां से वह मुंबई के लिए रवाना हुआ। रिहाई को देखते हुए जेल परिसर में अतिरिक्त पुलिस बल भी तैनात किया गया था।

गवली ने बॉम्बे हाईकोर्ट के 9 दिसंबर, 2019 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें निचली अदालत की ओर से दी गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा गया था। उसके खिलाफ महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत मामला दर्ज है। अगस्त 2012 में मुंबई की एक सत्र अदालत ने गवली को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और 17 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।