समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने अपने पांच दशकों से ज्यादा के राजनीतिक जीवन के दौरान परिवार के कई सदस्यों और रिश्तेदारों को राजनीति में उतारा। जो सपा के टिकट पर उत्तर प्रदेश विधानसभा और संसद के लिए चुने गए। मुलायम तीन बार मुख्यमंत्री, आठ बार विधायक और सात बार सांसद रहे। नेताजी के बेटे और भाईयों से लेकर बहूएं भी विधायक और सांसद हैं, जिन्हें राजीनीति में लाने में मुलायम सिंह का बड़ा योगदान रहा है। आइए उनके और उनके राजनीतिक करियर के बारे में जानते हैं-

अखिलेश यादव

मुलायम सिंह यादव की पहली पत्नी मालती देवी के बेटे अखिलेश यादव हैं। अखिलेश यादव नेताजी के उत्तराधिकारी के रूप में उभरे। 2012 में न सिर्फ यूपी के सीएम बने बल्कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने। अखिलेश ने 2016-17 में पार्टी की कमान संभाली। मुलायम उन तीनों पार्टी सम्मेलनों में शामिल नहीं हुए, जिनमें अखिलेश को पार्टी अध्यक्ष चुना गया था। अखिलेश ने साल 2000 में 26 साल की उम्र में राजनीति में कदम रखा था और कन्नौज से लोकसभा उपचुनाव लड़ा। उन्होंने 2004 और 2009 में भी चुनाव जीते। इसके बाद पार्टी ने 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव में अखिलेश को युवा चेहरे के तौर पर चुनाव में उतारा।

रामगोपाल यादव

मुलायम सिंह यादव के भाई रामगोपाल यादव ने मुलायम के पहली बार मुख्यमंत्री बनने से एक साल पहले 1988 में राजनीति में प्रवेश किया था। ब्लॉक प्रमुख के रूप में राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले रामगोपाल को मुलायम ने 4 साल के अंदर राज्यसभा पहुंचा दिया था। वह 2004 में एक बार लोकसभा के लिए चुने गए थे। रामगोपाल यादव वर्तमान में सपा के प्रमुख महासचिव हैं।

रामगोपाल के बेटे अक्षय यादव 27 साल की उम्र में 2014 में फिरोजाबाद से सांसद चुने गए थे। हालांकि, उन्हें दिए गए सपा के टिकट को लेकर रामगोपाल और शिवपाल के बीच तनाव पैदा हो गया था।

शिवपाल यादव

प्रगतिशील समाज पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव को 1996 में मुलायम ने अपनी जसवंतनगर सीट से चुनाव लड़ने के लिए कहा था। शिवपाल को 2009 में पहली बार यूपी में सपा के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। उस समय अखिलेश एक सांसद थे। हालांकि, कुछ महीनों के बाद उन्होंने इस पद पर शिवपाल की जगह ली। शिवपाल यादव इस समय जसवंतनगर सीट से विधायक हैं। पार्टी में पहले रामगोपाल यादव और फिर अखिलेश के साथ मतभेदों के चलते शिवपाल ने एक अलग पार्टी बना ली। हालांकि, उनके कभी नेताजी से किसी तरह के मतभेद नहीं रहे और शिवपाल के मन में हमेशा उनके लिए सम्मान रहा।

डिंपल यादव और अपर्णा यादव

मुलायम सिंह यादव की दोनों बहुएं भी राजनीति में हैं। अखिलेश यादव ने साल 2009 में फिरोजाबाद सीट पर उपचुनाव के लिए अपनी पत्नी डिंपल यादव के नाम का प्रस्ताव दिया था, हालांकि, वह कांग्रेस उम्मीदवार राज बब्बर से यह सीट हार गई थीं। इसके बाद 2012 में कन्नौज विधानसभा सीट पर उन्होंने पहली बार जीत हासिल की थी और 2019 में वह यह सीट हार गईं।

वहीं, मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना यादव के बेटे प्रतीक यादव तो राजनीति से हमेशा दूर रहे, लेकिन उनकी पत्नी अपर्णा यादव राजनीति में काफी सक्रिय हैं। साल 2017 में शिवपाल यादव ने अपर्णा को आजमगढ़ सीट से सपा का टिकट दिलवाने में मदद की थी, लेकिन वह हार गईं। इसके बाद उन्होंने 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ज्वाइ कर ली।