मुकुल राय की तृणमूल कांग्रेस में घर वापसी हो गई है। लेकिन अभी तक उन्हें कोई पद नहीं दिया गया है। नेताजी इंडोर स्टेडियम की सभा में मुकुल जब भाषण दे रहे थे, तृणमूल कांग्रेस के अखिल भारतीय महासचिव सुब्रत बख्सी ने दो बार उनका कुर्ता खींच कर भाषण बंद करने का संकेत दिया। इससे जहां मुकुल के ज्यादा बोलने का विरोध स्टेडियम में 20 हजार लोगों ने देखा वहीं मुकुल ने भी भाषण रोकने की कोशिश का विरोध किया।
मालूम हो कि मुकुल राय के बागी तेवर अपनाने के बाद तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने उनकी जगह बख्सी को महासचिव का पद सौंपा था। माना जा रहा है कि दोबारा मुकुल को बख्सी के साथ पद सौंपा जा सकता है। ऐसा होने पर बख्सी समर्थकों का कहना है कि वे विश्राम मांग सकते हैं क्योंकि उनका शरीर ठीक नहीं है। ममता के प्रति समर्पित लोगों में बख्सी का खास स्थान माना जाता है। दल का विरोध करने के बाद वापस लौटने पर मुकुल के साथ काम करना वह अपने सम्मान के खिलाफ मान रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि सिर्फ बख्सी ही मुकुल विरोधी हैं, ऐसा नहीं है। तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी, शोभन चट्टोपाध्याय, दो मंत्री अरुप विश्वास और फिरहाद हाकिम भी मुकुल को सम्माननीय पद दिए जाने के खिलाफ हैं।
सूत्रों का कहना है कि हाल में तृणमूल में नंबर दो माने जाने वाले ममता के सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी भी लंबे समय तक दल से दूर रहे मुकुल को पुरानी जगह देने के हक में नहीं हैं। बताया जाता है कि बीते दो महीने से इस बारे में विवाद चल रहा था लेकिन अब शिखर पर पहुंच गया है। हालांकि इन नेताओं में कोई भी ममता के फैसले का विरोध नहीं करेगा। लेकिन बख्सी के करीबी सूत्रों का कहना है कि वे किसी भी हाल में मुकुल के साथ काम नहीं करेंगे। ऐसा होने पर राजनीति से किनारा करके वे घर बैठकर आराम करना ज्यादा पसंद करेंगे।