लोकसभा में बुधवार कोभारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्यों हेमा मालिनी और मीनाक्षी लेखी ने जुवेनाइल (किशोर उम्र) उम्र के मापदंड को फिर से 16 साल करने की मांग की। दोनों सदस्यों ने इस बात को लेकर रोष प्रकट किया कि निर्भया कांड का एक दोषी को सिर्फ इस आधार पर सजा से बच गया क्योंकि वह घटना के वक्त किशोर उम्र (जुवेनाइल) था।
लोकसभा में बुधवार को भाजपा सदस्यों हेमा मालिनी और मीनाक्षी लेखी ने जुवेनाइल की उम्र को फिर से 18 की बजाय 16 वर्ष करने की मांग की। हेमा मालिनी ने सदन में शून्यकाल के दौरान यह मामला उठाते हुए तीन साल पहले आज ही के दिन हुए निर्भया कांड पर अपनी भावना व्यक्त की और कहा कि दिल्ली में हुई इस घटना को लेकर पूरा देश स्तब्ध और शर्मशार हुआ था।
उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि अन्य को सजा हुई लेकिन इस किशोर उम्र के दोषी को क्यों छोड़ दिया जाना चाहिए। उसे भी एक वयस्क मानकर सजा दी जानी चाहिए।
पुनर्वास केंद्र भेजने से उसका सुधार नहीं होगा क्योंकि उसका मन ‘शैतानी’ हो चुका है। जब वह 30 या 40 साल का होने के बाद बाहर आएगा तब भी उसी तरह की हरकतें करेगा क्योंकि उसकी परवरिश सही नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि मेरा और साथ ही समाज की अन्य महिलाओं का मानना है कि उसे सजा मिलनी चाहिए ताकि निर्भया की आत्मा और उसके माता पिता को दुख से कुछ राहत मिले। साथ ही आपराधिक प्रवृति वाले ऐसे बच्चों को सबक मिल सके।
भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने ‘किशोर उम्र’ के मापदंड को फिर से 16 वर्ष करने की मांग की। उन्होंने कहा कि 16 से 18 साल के बच्चों द्वारा महिलाओं से छेड़छाड़ के मामलों में 136 और बलात्कार के मामलों में 60 फीसद बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि 2000 तक जुवेनाइल की उम्र 16 वर्ष मानी जाती थी। 2000 में इस कानून में संशोधन किया गया और इसे 18 वर्ष कर दिया गया। इसे वापस 16 साल किया जाना चाहिए।
मीनाक्षी लेखी ने कहा-मेरा मानना है कि पिछले 15 वर्षों के बीच देश में बहुत कुछ बदला है और यौन परिपक्वता (सेक्सुअल मैच्यूरिटी) के मामलों में उम्र बढ़ी नहीं बल्कि घटी है। इसलिए उम्र की इस सीमा को घटाकर 16 वर्ष किया जाए। क्योंकि 16 से 18 वर्ष आयु वर्ग के जो युवा हैं वे लोग इस तरीके से कानून के उल्लंघन और अपराध में बहुत अधिक लिप्त हैं। इनको नियंत्रित करने के लिए उक्त कानून में संशोधन करके किशोर उम्र के पैमाने को फिर से 16 वर्ष किया जाना चाहिए। माकपा की श्रीमती टीचर ने महिलाओं के साथ होने वाले अपराध का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे मामले प्रतिदिन बढ़ रहे हैं। निर्भया कांड के बाद इसी सदन ने एक कानून पास किया था लेकिन हम इस कानून को सही तरीके से लागू करने में विफल रहे हैं।