Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश में सरकार और अधिकारियों के बीच में सब कुछ सही नहीं चल रहा है, तनाव की खबरें पिछले दो सालों से आ रही हैं। जब से योगी आदित्यनाथ दूसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं, ऐसी तकरार की खबरें सबसे ज्यादा आने लगी हैं।
कुछ दिन पहले ही जनसत्ता के सहयोगी इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट किया था कि यूपी सरकार के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा अपने डिपार्टमेंट के अधिकारियों से नाराज हो गए थे। कारण सिर्फ इतना था कि उनकी तरफ से विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था, वे विरोध भी इसलिए क्योंकि वे सरकार की उस नीति से खुश नहीं थे जहां पर पावर डिस्ट्रीब्यूशन को प्राइवेट करने की तैयारी हो रही थी।
अब इस बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कानपुर चित्रकूट और झांसी डिवीजन की एक अहम बैठक की है। मीटिंग में स्पष्ट संदेश दिया गया कि चुने हुए प्रतिनिधियों को हर विकास कार्य के समय लूप में रखना है।
वैसे पिछले महीने 30 जुलाई को ऐसी ही एक बैठक लखनऊ के साथ भी हो चुकी थी। इस प्रकार की बैठक इसलिए करनी पड़ रही है क्योंकि अधिकारी और चुने हुई प्रतिनिधि तालमेल नहीं बैठ पा रहे हैं।
इस अनबन को लेकर एक भाजपा विधायक ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि यूपी में अधिकारी इस समय अपने मन मुताबिक काम कर रहे हैं, वे चुने हुए प्रतिनिधि को कोई सम्मान नहीं देते, किसी भी तरह के प्रोटोकॉल का पालन नहीं हो रहा है। वैसे तो हम लोग जनता के प्रति जवाबदेह हैं लेकिन हम बहुत ही बेबस महसूस करते हैं। अगर किसी वरिष्ठ नेता या मंत्री का रुख करें तो वे भी अपने हाथ खड़े कर देते हैं।
वैसे ऐसी ही शिकायत ऊर्जा मंत्री एके शर्मा भी कर चुके हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा था कि अधिकारी फोन तक नहीं उठाते हैं, स्थिति अब खराब से बहुत ज्यादा खराब हो चुकी है।
वैसे इसी तरह कुछ दिन पहले मंत्री प्रतिभा शुक्ला भी कानपुर पुलिस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में बैठ गई थीं। उनका आरोप था कि उनके समर्थकों को जानबूझकर टारगेट किया जा रहा है। इसी तरह कुछ दिन पहले मंत्री नंद गोपाल गुप्ता की एक चिट्ठी भी वायरल हो गई थी जहां उन्होंने आरोप लगाए थे कि अधिकारी उनकी एक नहीं सुन रहे, भेदभाव अलग हो रहा है।
वैसे अगर नेता अधिकारी से परेशान है तो अधिकारी भी अपना पक्ष रख रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए एक अधिकारी ने कहा था कि जब से सीएम योगी आदित्यनाथ ने शपथ ली है, उन्होंने साफ शब्दों में कहा था कि अधिकारियों को किसी से भी डरने की जरूरत नहीं है और किसी के भी दबाव में नहीं आना है। इस वजह से उन नेताओं को दिक्कत होने लगी है जो पहले अपना काम करवा लिया करते थे। लेकिन समझने वाली बात यह है कि अधिकारियों का भी सम्मान होना जरूरी है, दोनों ही तरफ से तालमेल रहना चाहिए।
बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दोनों पक्षों को सुना है और उनकी तरफ से इतना जरूर कहा गया है कि अधिकारी जी भी लोकल प्रोजेक्ट का उद्घाटन करते हैं, वहां पर नेम प्लेट पर स्थानीय प्रतिनिधि का नाम भी होना चाहिए। वैसे सीएम योगी की बैठकों का एक फायदा जरूर हुआ है, झांसी डिविजन के 4901 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट फाइनल कर दिए गए हैं, इसी तरह चित्रकूट डिविजन के लिए भी 3875 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट मंजूर कर दिए गए हैं।
Maulshree Seth की रिपोर्ट