मध्य प्रदेश में अधिकारियों-कर्मचारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में कार्रवाई के लिए जांच एजेंसियों पर पूर्व अनुमति लेनी होगी। इसके लिए सरकार ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 17-ए में अखिल भारतीय सेवा या वर्ग एक के किसी भी अधिकारी के खिलाफ अनुमति लेकर ही कार्रवाई करना अनिवार्य कर दिया है। इस पर कांग्रेस नेता कमलनाथ ने तीखे तेवर दिखा सरकार पर जोरदार हमला बोला है।
शिवराज सरकार के फैसले पर कमलनाथ ने कहा है कि ये चुनाव के समय नारा देते थे ना खाऊंगा और ना खाने दूंगा। ये भ्रष्टाचारियों को 10 फीट गहरे गड्ढे में डालने की बात करते थे। लेकिन आज सारे मिलकर भ्रष्टाचार व भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने का पुख्ता इंतजाम कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस फैसले से भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियां बेमतलब की हो जाएंगी। इससे भ्रष्टाचार को खुला संरक्षण मिल जाएगा। उन्होंने कहा है कि प्रदेश में भ्रष्टाचार एक व्यवस्था बन चुका है।
कमलनाथ ने कहा कि अब भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 17 ए के तहत भ्रष्ट अधिकारियों के लिए मुख्यमंत्री से लेकर प्रशासनिक विभाग की अनुमति अनिवार्य कर दी गई है। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने मोदी सरकार के इन निर्देशो को ताबड़तोड़ प्रदेश में लागू भी कर दिया है।
जो चुनाव के समय नारा देते थे “ना खाऊंगा और ना खाने दूंगा“ और जो भ्रष्टाचारियों को 10 फ़ीट गहरे गड्ढे में डालने की बात करते थे , उन सभी ने मिलकर भ्रष्टाचार व भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने का पुख्ता इंतजाम कर दिया है।
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) May 8, 2022
हालांकि इसी मसले पर भाजपा भी कांग्रेस की घेराबंदी करती रही है। भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के मामलों में फंसने के बाद भी कमलनाथ सरकार ने अफसरों को हटाने की जगह अच्छी पोस्टिंग दी थी। लोकायुक्त ने इन भ्रष्ट अफसरों पर कार्रवाई की तो भाजपा ने कमलनाथ की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए।
उधर सोशल मीडिया पर एक यूजर डॉ. हरीश बाजपेयी ने कमलनाथ को आड़े हाथ लेकर कहा कि ये नियम भारत सरकार के कार्मिक विभाग का अखिल भारतीय सेवाओं के लिए है। इसका पालन पूरे भारत की सभी सरकारों ने करना है। क्या कांग्रेस की सरकार इसके लिए मना कर रहीं हैं? आपके लोग आपसे ऐसा मूर्खतापूर्ण बयान किसी साजिश के तहत तो नहीं दिलवा रहे महाराज? कईयों को बर्बाद कर चुका है!