मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कालेधन का प्रकोप पहले से काफी बढ़ गया है। 2013 विधानसभा चुनाव के मुक़ाबले इस बार कालेधन की खपत ज्यादा देखी जा रही है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण चुनाव आयोग द्वारा जब्त की गयी रकम है। मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने चुनाव में कालेधन के उपयोग पर गंभीर चिंता जाहिर की है। चुनावों में कालेधन का इस्तेमाल जस का तस बना हुआ है। लाख दावों के बावजूद मौजूदा परिस्थितियां सरकार द्वारा नोटबंदी के पक्ष में दिए गए तर्कों की हवा निकाल रही हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने बताया कि पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार कालेधन की जब्ती तीन गुना ज्यादा बढ़ गयी है। मध्य प्रदेश में जहां 2013 में 19 करोड़ रुपये का कालाधन पकड़ा गया, वहीं इस चुनाव में अभी तक 51 करोड़ रुपये जब्त किए जा चुके हैं। हालांकि, अभी वोटिंग होने में समय बचा हुआ है। रावत ने चुनावों में कालेधन के इस्तेमाल पर सभी राजनीतिक दलों को नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि इस संगीन मामले पर सभी राजनीतिक दलों को चिंता करनी चाहिए।
गौरतलब है कि नोटबंदी को लेकर बीजेपी के नेता अक्सर सार्वजनिक मंचों से चुनावों में कालेधन का इस्तेमाल कम होने का दावा करते रहे हैं। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस मुद्दे पर काफी बोल चुके हैं। हालांकि, इसी साल अप्रैल में उन्होंने एटीएम मशीनों से 2000 रुपये के नोट कम होने को लेकर अपनी आपत्ति जाहिर की थी। उन्होंने सवाल खड़े किए थे कि एटीएम से इतनी जल्दी ये नोट गायब कैसे हो रहे हैं। जबकि, राहुल गांधी अक्सर नोटबंदी को लेकर मोदी सरकार को टारगेट पर लिए रहते हैं। पिछले महिने राहुल गांधी ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा था, ‘कुछ अमीर लोगों के काले धन को सफेद करने के लिए 2016 में नोटबंदी की गई थी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वह जादूगर थे जिन्होंने यह काम किया’।
अब जब बीजेपी शासित राज्य में ही कालेधन की खपत ज्यादा बढ़ गयी है तब सवाल और खड़े होने लगे हैं। चुनाव में कालेधन के अलावा शराब की भी खपत ज्यादा हो चुका है। हालांकि, अभी तक जो शराब जब्त की गयी है, उसे लेकर चुनाव आयोग ने नाराजगी जाहिर की है। आयोग का कहना है कि आबकारी विभाग सही से काम नहीं कर रहा है वर्ना जब्त की गयी शराब की मात्रा और भी ज्यादा हो सकती है। मध्य प्रदेश में अभी तक 4 लाख लीटर शराब जब्त की गयी है।
बुधवार को भोपाल में चुनाव की तैयारियों की समीक्षा के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त ने प्रेस को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने राजनीतिक दलों की आपत्तियों पर भी जवाब दिया। आयोग ने कहा कि राजनीतिक दलों को निर्वाचन अधिकारी से लाउड-स्पीकर का उपयोग करने के लिए अनुमति लेनी होगी। चुनाव प्रचार में लाउड स्पीकर का इस्तेमाल सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक किया जा सकेगा। इस दौरान आयोग ने चंबल के संवेदनशील इलाकों में अपराधियों की धरपकड़ नहीं होने पर भी नाराजगी जाहिर की। आयोग ने कहा कि इस इलाके में 3 हजार से ज्यादा गांव अतिसंवेदनशील है, जहां हालात बिगड़ सकते हैं।