राजस्थान के कोटा में दिवंगत मां द्वारा छोड़े गये 96,500 रुपए के पुराने नोटों के अचानक मिलने की घटना ने एक अनाथ भाई-बहन के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है। इन नोटों को बदलने का कोई रास्ता नहीं पाकर भाई (16) और बहन (12) ने अब प्रधानमंत्री का रुख किया है। उन्होंने चिट्ठी लिखकर इस मामले में प्रधानमंत्री के दखल की मांग की है क्योंकि चलन से बाहर हो चुके 500 रुपए और 1,000 रुपए के बैंक नोटों को बदलने की अंतिम तिथि खत्म हो चुकी है।
बताते चलें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर को टीवी पर अपने संबोधन में पांच सौ व हजार के नोटों को अमान्य करने का एलान किया था और लोगों से कहा था कि वे अपने पुराने नोट बैंक में जाकर बदलवा लें। पर अब नोट बदलवाने की समयसीमा समाप्त हो गई है।

इस महीने की शुरुआत में सरवडा गांव स्थित उनके बंद पड़े पैतृक घर में पुलिस सर्वेक्षण के दौरान नोट मिले थे। बाल कल्याण समिति (सीडब्लूसी), कोटा के अध्यक्ष हरीश गुरुबक्षाणी ने बताया कि आरबीआइ के इन पुराने बैंक नोटों को बदलने से इनकार करने के बाद बच्चों ने शनिवार को प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर इन्हें बदलने की व्यवस्था करने का अनुरोध किया है। 96,500 रुपए की यह रकम उनकी मां की जीवन भर की बचत है।उन्होंने बताया कि भाई इस रकम को अपनी बहन के नाम पर फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) कराना चाहता है। उन्होंने कहा कि हस्तलिखित पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय को भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि उनकी मां पूजा बंजारा दिहाड़ी कामगार थी और वर्ष 2013 में उनकी मौत हो गई थी। हालांकि पुलिस को आशंका है कि उनकी हत्या की गई थी। दोनों के पिता राजू बंजारा की पहले ही मौत हो चुकी थी।

ऐसे मिली रकम

पुलिस इन बच्चों के पुश्तैनी मकान में तलाशी के लिए गई थी, जहां उसे यह रकम मिली। बच्चों के मुताबिक इस रकम की जानकारी उन्हें भी नहीं थी।
पुलिस के मुताबिक, इन बच्चों की मां पूजा बंजारा दिहाड़ी कामगार थी और वर्ष 2013 में उनकी मौत हो गई थी। हालांकि पुलिस को आशंका है कि उनकी हत्या की गई थी। दोनों के पिता राजू बंजारा की पहले ही मौत हो चुकी थी।