ओमप्रकाश ठाकुर
उपचुनावों में मिली हार के दो महीने बाद जयराम सरकार के चार साल पूरे होने के मौके पर मंडी में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा में उमड़ी भीड़ से प्रदेश की जयराम ठाकुर सरकार और हताश भाजपा को कुछ जीवन जरूर मिला है लेकिन पार्टी की चरम पर पहुंच चुकी गुटबाजी के मर्ज की दवा यह जनसभा भी नहीं दे पाई हैं। प्रदेश को न आर्थिक मदद मिली और न ही जयराम व उनकी भाजपा को गुटबाजी को खत्म करने की दवा।
बेशक सरकारी खर्च पर ही सही इस जनसभा में जयराम सरकार उपचुनावों में मिली करारी हार के बाद भीड़ जुटाने में कामयाब रही। भीड़ देखकर प्रधानमंत्री मोदी भी गदगद हो गए और मुख्यमंत्री जयराम भी। लेकिन सभा समाप्त होने के बाद जयराम सरकार और भाजपा नेताओं के चेहरों पर मायूसी छा गई और भाजपा में जयराम विरोधी नेताओं के चेहरों पर हलकी सी मुस्कान कायम रही।
प्रदेश की जनता और भाजपा नेताओं को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री मोदी चुनावी साल देखते हुए प्रदेश की बिगड़ी स्थिति को देखते हुए कोई सीधी आर्थिक मदद का एलान करके जाएंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। ऐसे में जयराम सरकार और भाजपा तुरंत विपक्षी पार्टी कांग्रेस के साथ अपनों के निशाने पर भी आ गई।
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष कुलदीप राठौर समेत अन्य नेताओं ने तुरंत हमला बोल दिया कि प्रधानमंत्री दौरे पर जितनी बार भी आए, प्रदेश को झुनझुना ही थमा गए। हालांकि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप मंच से प्रदेश को आर्थिक मदद मांगने और प्रधानमंत्री की ओर से सीधी घोषणा न करने का बचाव करते हुए कहते हैं कि प्रधानमंत्री के सामने मंच इस तरह की कोई मांग करना अच्छा नहीं लगता है। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री अमूमन कोई ऐसी घोषणा नहीं करते है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और तमाम सांसद प्रदेश की मांगें तो प्रधानमंत्री के समक्ष उठाते ही रहते हैं।
प्रधानमंत्री की जनसभा का एक लाभ जरूर जयराम सरकार और भाजपा को मिला कि जो उपचुनावों में मिली हार की हताशा थी, वह कुछ हद तक दूर हुई हैं। लेकिन जब भाजपा की गुटबाजी का समाधान नहीं होता तब तक कांग्रेस के बढ़ते रथ को रोक पाना जयराम व उनकी मित्रमंडली के लिए आसान नहीं है। उपचुनावों में मिली हार के बाद कहा जाने लगा था कि जिन नेताओं ने पार्टी के साथ भितरघात किया है उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। लेकिन भाजपा आलाकमान कुछ नहीं पाया।
जयराम सरकार व भाजपा ने एक अरसे से पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल समेत उनके खेमे के तमाम नेताओं को हाशिए पर रखा हुआ है। यहां तक राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी तक को सताने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी गई। भाजपाइयों का कहना है कि धूमल व उनका खेमा जयराम के मुख्यमंत्री बनने और बने रहने को पचा नहीं पाए। इसलिए दोनों गुटों में जंग शुरू हो गई और चार साल निकल गए। 2021 के अप्रैल महीने में नगर निगमों और अक्तूबर महीने में उपचुनावों में कांग्रेस इसी गुटबाजी का फायदा उठाकर भाजपा को मात देने में कामयाब रही।
अभी भी मुख्यमंत्री जयराम कांग्रेस में मुख्यमंत्रियों के दावेदारों की लंबी फेहरिस्त को गिनवाकर अपनी हार व गुटबाजी की असलियत को हवा करने में जुटे हुए हैं। लेकिन जमीन पर असलियत कुछ अलग है। उनकी अपनी पार्टी में इतनी दरारें है कि जिन्हें भरना इतना आसान नहीं है। हालांकि इस गुटबाजी को लेकर भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप यह कहते हुए हवा करना चाहते हैं कि जब हार होती है तो ऐसे मुद्दे तो उठते ही हैं। यह सबको पता है कि प्रदेश में संगठन पूरी तरह से चरमरा चुका है।
जमीनी नेता चाहे वह स्थानीय स्तर पर हो या राज्य स्तर पर वह हाशिए पर है। इस असलियत से भाजपा आलाकमान भी अवगत है लेकिन वह भी पूरी तरह से मौन बैठा हुआ है। अब तो चुनावी साल भी शुरू हो गया है और मुख्यमंत्री जयराम के पास बजट सत्र के अलावा चुनावी घोषणाएं करने को कुछ नहीं बचा है। अगर केंद्र सरकार की ओर से अब कुछ घोषणाएं होती भी हैं तो उन्हें विपक्ष जुमला कह कर गुल करता जाएगी।