Milkipur Bypoll: चुनाव आयोग ने हाल ही में उत्तर प्रदेश की 9 सीटों पर उपचुनाव का शेड्यूल जारी किया था। इन सीटों पर 13 नवंबर 2024 को उपचुनाव होंगे। हालांकि, सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाली अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर अभी उपचुनाव नहीं होंगे। ECI का कहना है कि मिल्कीपुर में उपचुनाव की घोषणा इसलिए नहीं हुई क्योंकि BJP के पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ ने 2022 में चुनाव जीते सपा विधायक अवधेश प्रसाद के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रखी है। ये पिटीशन अभी पेंडिंग है।
मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव स्थगित करने के चुनाव आयोग के फैसले ने भाजपा को बैकफुट पर ला दिया है। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि उपचुनाव में देरी इसलिए की गई है क्योंकि भाजपा को अयोध्या में फिर से हारने का डर है।
लोकसभा चुनावों के दौरान अयोध्या और राम मंदिर वाली फैजाबाद लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी से भाजपा की हार के बाद , उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब मिल्कीपुर के अलावा मंगलवार को घोषित नौ विधानसभा उपचुनावों की सीधे निगरानी कर रहे हैं। सीएम आदित्यनाथ ने पिछले डेढ़ महीने में लाभार्थियों और पार्टी कार्यकर्ताओं तक पहुंचने के लिए कम से कम चार बैठकें की हैं जबकि कई राज्य मंत्री नियमित रूप से निर्वाचन क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं।
बीजेपी ने अपने विधायक से याचिका वापस लेने को कहा
मिल्कीपुर पर विपक्ष का मुकाबला करने के लिए, भाजपा ने न केवल अपने पूर्व मिल्कीपुर विधायक बाबा गोरखनाथ से सीट के लिए 2022 के विधानसभा चुनावों में कथित अनियमितताओं पर अपनी याचिका वापस लेने के लिए कहा है बल्कि चुनाव आयोग से मिलने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल भी भेजा है। पार्टी ने अनुरोध किया है कि वह मिल्कीपुर उपचुनाव को यूपी के अन्य उपचुनावों के साथ ही निर्धारित करे।
बाबा गोरखनाथ ने बताया क्यों दायर की थी याचिका
बाबा गोरखनाथ ने 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था लेकिन सपा के प्रसाद से 13,000 मतों से हार गए थे। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा, “मैंने 2022 में मिल्कीपुर के पूर्व विधायक और फैजाबाद के सांसद अवधेश (प्रसाद) के खिलाफ यह याचिका दायर की थी। दरअसल, यह सामने आया था कि जिस नोटरी पेपर पर उन्होंने अपना हलफनामा दिया था वह जिस वकील का था उसका लाइसेंस छह साल पहले समाप्त हो चुका था। यह एक गंभीर मुद्दा था इसलिए मैंने चुनाव याचिका के साथ अदालत का दरवाजा खटखटाया था।”
अवधेश प्रसाद ने इस साल की शुरुआत में फैजाबाद लोकसभा सीट जीती थी और विधायक के रूप में इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद उपचुनाव की आवश्यकता पड़ी। यह याचिका 2022 से लंबित है लेकिन न तो प्रसाद के चुनाव पर रोक लगी है और न ही अदालत की ओर से कोई फैसला आया है।
मिल्कीपुर से भाजपा टिकट के प्रमुख दावेदारों में से एक गोरखनाथ ने आगे कहा, “मैंने तब अवधेश प्रसाद की शपथ पर रोक लगाने के लिए कोर्ट से अनुरोध किया था। ऐसा तो नहीं हुआ लेकिन कोर्ट ने संबंधित पक्षों को नोटिस जरूर भेजा। याचिका लंबित थी,लेकिन चूंकि अवधेश जी सांसद बनने के बाद विधायक पद से इस्तीफा दे चुके थे इसलिए मेरी अर्जी खुद ही निरस्त हो गई।”
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 15 दिन बाद तय की सुनवाई
गोरखनाथ की वापसी याचिका पर गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होनी थी। उन्होंने कहा, “सीट पर हमारी तैयारियां पूरी हैं। हमें नहीं पता था कि मेरे आवेदन की वजह से चुनाव टल जाएगा इसलिए मेरे वकील ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका वापस लेने की अर्जी दाखिल की।” हालांकि, गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई 15 दिन बाद तय की जिससे यह संभावना नहीं है कि मिल्कीपुर में 13 नवंबर को अन्य नौ यूपी विधानसभा सीटों के साथ उपचुनाव होगा।
एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे सपा-भाजपा
गोरखनाथ ने कहा कि याचिका वापस लेने की इच्छा के बावजूद, सपा इसका विरोध कर रही है क्योंकि वह नहीं चाहती कि मिल्कीपुर उपचुनाव अन्य सीटों के साथ हो। गोरखनाथ ने कहा, “अवधेश प्रसाद की ओर से पेश हुए वकील ने हमारी वापसी की अर्जी का पुरजोर विरोध किया और तर्क दिया कि मामला वापस नहीं लिया जाना चाहिए और सभी पक्षों का विरोध अदालत के समक्ष दर्ज किया जाना चाहिए और उसके बाद ही याचिका वापस ली जा सकती है।”
हालांकि, अवधेश प्रसाद ने दावा किया कि गोरखनाथ के पास अपनी याचिका वापस लेने के लिए चार महीने का समय था क्योंकि वह लोकसभा के लिए चुने गए थे और विधायक के तौर पर इस्तीफा दे चुके थे। उन्होंने कहा, “मैंने 4 जून को सांसद बनने के बाद 12 जून को विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था। उनके पास अपनी अर्जी वापस लेने के लिए चार महीने का समय था।”
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सपा-भाजपा बोले बीजेपी को हार का डर
भाजपा के जिला नेताओं ने कहा कि उन्हें याचिका के बारे में पता था लेकिन उन्हें उम्मीद नहीं थी कि चुनाव आयोग इस पर उपचुनाव रोक देगा। लेकिन सपा और कांग्रेस दोनों ने भाजपा पर बार-बार कटाक्ष किया है, उनका दावा है कि उसे अयोध्या में फिर से हारने का डर है, जिसके कारण पार्टी को गोरखनाथ से अपनी याचिका वापस लेने के लिए कहना पड़ा।
अवधेश प्रसाद ने कहा, “मुख्यमंत्री योगी ने खुद इस सीट का कंट्रोल अपने हाथों में ले लिया है, जो उनके लिए राष्ट्रीय प्रतिष्ठा का मुद्दा बन गया है। कई मंत्री यहां डेरा डाले हुए थे। मुख्यमंत्री खुद कई रैलियां कर चुके हैंलेकिन उनकी सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि वे फिर से हार रहे हैं और इसीलिए उन्होंने इस तरह की साजिश का सहारा लिया है।” सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी भाजपा पर हमला बोला था। उन्होंने कहा, “जिसने जंग टाली है, समझो उसने जंग हारी है।”
2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने जीती थी मिल्कीपुर सीट
गौरतलब है कि गोरखनाथ ने 2017 के विधानसभा चुनावों में मिल्कीपुर सीट जीती थी और भाजपा को 1991 के बाद से इस सीट पर पहली जीत दिलाई थी। हाल के चुनावों में सपा इस सीट पर प्रमुख पार्टी रही है- 1998 के बाद से पार्टी ने मिल्कीपुर में हुए सात चुनावों में से पांच में जीत हासिल की है, जिसमें दो उपचुनाव भी शामिल हैं।
फैजाबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली पांच विधानसभा सीटों में से मिल्कीपुर एकमात्र ऐसी सीट थी, जिसे भाजपा 2022 में हार गई। हालांकि, हालिया लोकसभा चुनाव में सपा फैजाबाद सीट जीतने में सफल रही जबकि पिछले दो चुनावों में भाजपा ने यहां जीत दर्ज की थी।