कोरोनावायरस की वजह से लगे लॉकडाउन का सबसे बुरा असर प्रवासी मजदूरों पर पड़ा है। बड़ी संख्या में फैक्ट्रियों और उद्योंगो के बंद होने की वजह से कामगारों को अपने साधन से ही हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर घर पहुंचना पड़ा। इसके बाद क्वारैंटाइन सेंटर में रहने का दर्द अलग। हालांकि, जहां लॉकडाउन के दौरान देशभर से प्रवासियों की बुरी स्थिति की कई खबरें आईं, वहीं कुछ बेहतरीन खबरें भी वायरल हुई हैं। इनमें एक वाकया हुआ मध्य प्रदेश के सतना जिले में। यहां लौटे प्रवासियों को जिस स्कूल में रखा गया, उन्होंने उसी स्कूल की पेंटिंग कर उसे नया रूप दे दिया।

सतना के ही रहने वाले कृष्ण चौधरी के मुताबिक, वह कभी अपना गांव जिगनहाट नहीं छोड़ता अगर उसे राज् में काम मिल जाता, लेकिन कमाई के लिए उसे अपना घर छोड़कर जम्मू जाना पड़ा। लॉकडाउन के बाद कृष्ण को बाइक से ही अपने गांव लौटना पड़ा। हालांकि, उसके साथी इतने भाग्यशाली नहीं रहे। कई लोगों को पैदल गांव आना पड़ा। हालांकि, घर लौटने के बाद सभी को एक साथ गांव के स्कूल में 14 दिन के लिए क्वारैंटाइन कर दिया गया।

कृष्ण चौधरी के मुताबिक, उसे क्वारैंटाइन में कई घंटे बिताने पड़ रहे थे, जिस वजह से उन्हें कोई खुशी नहीं हो रही थी। ऐसे में कृष्ण और उनके साथ क्वारैंटाइन सेंटर में ही काम की तलाश में जुट गए। सभी प्रवासी काम के लिए सरपंच से भी मिले। इसी दौरान सरकार को पता चला कि कृष्ण एक पेंटर का काम करते हैं। ऐसे में उन्हें क्वारैंटाइन सेंटर में बदले गए स्कूल को पेंट करने के लिए कहा गया। वह भी बिल्कुल वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की तरह।

कृष्ण की इस कोशिश में धीरे-धीरे दूसरे प्रवासी भी जुड़ने लगे। सभी ने मिलकर अफसरों के निर्देश के मुताबिक, स्कूल को डिजाइन कर दिया। सरपंच उमेश चतुर्वेदी के मुताबिक, उन्होंने मजदूरो के लिए पेंट, ब्रश और अन्य जरूरत के सामान का इंतजाम कर दिया। इस काम के लिए किसी ने भी पैसे नहीं लिए और तीन हफ्ते में स्कूल को बिल्कुल नए जैसा तैयार कर दिया।

प्रवासी मजदूरों को नौकरी देने के लिए बनाया गया पैनल
मध्य प्रदेश सरकार ने प्रवासी मजदूरों को नौकरी देने के लिए शुक्रवार को ही आयोग का गठन किया है, जो लोगों को उनके कौशल के हिसाब से रोजगार देगा। इस पैनल का कार्यकाल दो साल का होगा। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम ऐसी कोशिश करेंगे कि हमारे लोगों को काम के लिए बाहर न जाना पड़े।