‘मैं जब भी दिल्ली में होता हूं, कभी-कभी डॉ. मनमोहन सिंह से मिलता हूं, लेकिन उनकी तबीयत पहले जैसी नहीं रही। वह हमेशा स्वागत और बात करने के लिए तैयार रहते हैं। जब भी मैंने समय मांगा। मैं सोनिया गांधी से भी मिला हूं, लेकिन मैं राहुल गांधी से लंबे समय से नहीं मिल पाया हूं…मुझे लगता है कि इन बीते चार साल में। ऐसी शिकायत है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मिलना उतना आसान नहीं है, जितना होना चाहिए।’ यह कहना है महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता पृथ्वीराज चव्हाण का।
पूर्व केंद्रीय मंत्री चव्हाण नाराज नेताओं के समूह जी-23 के सदस्य हैं, जो हाल के सालों में हुए चुनावों में पार्टी को मिली हार के मद्देनजर संगठन में सुधार करने की मांग कर रहे हैं। उदयपुर में हुई बैठक के बारे में चव्हाण ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने पार्टी के समक्ष मौजूद मुद्दों पर चर्चा करने के लिए ‘‘चिंतन शिविर’’ आयोजित करने पर सहमति जताई थी, लेकिन कोई ‘जो राजा के प्रति अधिक निष्ठावान’’ है ने तय किया कि चिंतन या आत्ममंथन की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, उदयपुर बैठक ‘नव संकल्प शिविर’ था। पार्टी ने महसूस किया कि पोस्टमार्टम की जरूरत नहीं है, केवल भविष्य पर चर्चा की जरूरत है।
चव्हाण ने कहा, ‘ईमानदार आत्ममंथन करने की जरूरत है, जिम्मेदारी तय करने या लोगों को लटकाना नहीं, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि गलतियों को दोहराया नहीं जाए। असम और केरल विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी के प्रदर्शन पर विचार करने के लिए समिति गठित की गई थी, लेकिन समिति की रिपोर्ट को अलमारी में दफन कर दिया गया जो सही तरीका नहीं है।’
चव्हाण ने यह भी कहा कि हाल ही में पार्टी छोड़ने वाले कपिल सिब्बल ने महसूस किया कि कांग्रेस नेतृत्व को सही सलाह नहीं मिल रही है। उनको वहीं गिने-चुने लोग सलाह दे रहे हैं, जो शीर्ष नेतृत्व को पसंद है। उन्होंने कहा, ‘अगर हम 2024 में पीएम मोदी को हराना चाहते हैं, तो हमें आगामी 12 राज्यों के विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करना होगा। हमें समान विचारधारा वाले दलों का एक व्यापक गठबंधन बनाना होगा’।