देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती ने शुक्रवार को अपना जन्मदिन दिल्ली के बजाय लखनऊ में मनाया। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में मायावती पांचवी बार मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब देख रही हैं। लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते उनकी पार्टी बसपा का सूपड़ा साफ हो गया था। उसके बाद से बसपा सुप्रीमो लो प्रोफाइल बनी हुई थीं। लेकिन बिहार विधानसभा के नतीजों से उन्हें संजीवनी मिल गई है।

मायावती को कांग्रेस से कोई खतरा नहीं लगता। उन्हें उत्तर प्रदेश में चुनौती समाजवादी पार्टी और भाजपा से मिलेगी। लोकसभा चुनाव में उनका दलित वोट बैंक तो बच गया था। लेकिन हिंदुत्व के बहाने मोदी ने पिछड़े और अति पिछड़े व अगड़े वोटों का ध्रुवीकरण कर दिया था। शुक्रवार को लखनऊ में अपने 60वें जन्मदिन के मौके पर मायावती मोदी और मुलायम पर जमकर बरसीं। भाजपा और सपा की सांठगांठ का भी सोच-समझ कर आरोप लगाया। दरअसल उनकी नजर सूबे के मुसलमान वोट बैंक पर है जिसका पिछले विधानसभा चुनाव में सपा के पक्ष में ध्रुवीकरण होने से बसपा सत्ता से बाहर हुई थी। मोदी और भाजपा को घेरने के लिए मायावती ने वोट के लिए राम मंदिर के नाम पर धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इन हथकंडों से भाजपा का अब भला नहीं होने वाला।

मायावती ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा सांप्रदायिक तत्वों को खुली छूट देने से देश में अफरातफरी का माहौल है। बुद्धिजीवी वर्ग भी सांसत में है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक आते देख भाजपा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उनके साथी संगठनों ने मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन होने के बावजूद राम मंदिर के नाम पर धार्मिक भावनाओं से खेलना शुरू कर दिया है। इसके अलावा अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी को छोड़कर बाकी पूरे प्रदेश की उपेक्षा करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राज्य में विधानसभा चुनाव आते देख इस सूबे के विकास की याद आने लगी है। लेकिन जनता उनके झांसे में नहीं आने वाली। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी भाजपा का बुरा हाल होगा।

माया ने उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी पर अपने आदर्श पुरुष राम मनोहर लोहिया के उसूलों के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया और कहा कि हर साल उनका जन्मदिन जन कल्याणकारी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बसपा के कार्यकर्ता गरीबों, पिछड़ों और शोषित लोगों की मदद करते हैं। लेकिन लोहिया के सिद्धांतों के ठीक विपरीत सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन शाही तरीके से मनाया जाता है। मुलायम के जन्मदिन के शाही समारोह पर हर साल जनता का काफी धन खर्च कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह कहते हैं कि अगर आज लोहिया होते तो इसे देखकर खुश होते, लेकिन इस बात में रत्ती भर भी दम नहीं है। लोहिया और सपा के समाजवाद में जमीन-आसमान का फर्क बताते हुए मायावती ने कहा अगर लोहिया आज जीवित होते तो जनता के धन की ऐसी बरबादी देखकर मुलायम को समाजवादियों की सूची से निकाल देते।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के अनेक जिलों के किसान सूखे से परेशान हैं। उनकी मदद के लिए राज्य सरकार धन नहीं होने की बात कह रही है। वहीं सैफई महोत्सव में जनता का पैसा लुटाया जा रहा है। बसपा अध्यक्ष ने कहा कि दलितों के साथ सपा का बर्ताव लोहिया के सिद्धांतों के खिलाफ है। लोहिया ने यह कभी नहीं कहा था कि दलित संतों, धर्मगुरुओं और महापुरुषों की निशानियों के साथ छेड़छाड़ की जाए। जनता जल्द ही इस पार्टी को सबक सिखाएगी।

बसपा अध्यक्ष ने भाजपा पर दलित मतदाताओं को लुभाने के लिए डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के नाम पर तरह-तरह के हथकंडे अपनाने का भी आरोप लगाया। मायावती ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार की अगर आंबेडकर के प्रति सही मानसिकता होती तो उसे उनकी 125वीं जयंती पर उनके अनुयायी दलितों और पिछड़ों के हित में फैसले लेती। दलितों को पदोन्नति में आरक्षण विधेयक को संसद में पारित कराना चाहिए था। हिंदू धर्म की कुरीतियों से परेशान होकर दूसरे धर्मों में गए गरीबों और पिछड़ों व अगड़ी जातियों के गरीब तबके को भी आरक्षण देने के लिए संविधान में संशोधन करना चाहिए था। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।

मायावती ने कहा कि मनुवादी मानसिकता रखने वाले लोग किसी दलित की बेटी को बड़े पद पर नहीं देखना चाहते। इसीलिए वे उन्हें दलित नहीं बल्कि दौलत की बेटी कह कर उनका दुष्प्रचार करते हैं। लेकिन इसका कोई असर नहीं होता है। उन्होंने कहा कि उनके समर्थक उन्हें हमेशा आर्थिक रूप से मजबूत देखना चाहते हैं। इसीलिए वे समय-समय पर अपनी इच्छा से उन्हें नकद, ड्राफ्ट वगैरह देकर मदद करते हैं। जब ताज कॉरीडोर प्रकरण में सीबीआइ ने उनके घर पर छापे मारे थे और उनके बैंक खातों के संचालन पर रोक लगा दी थी, तब भी समर्थकों ने उन्हें मदद की थी। बाद में उनके अनुरोध पर वे पार्टी में आर्थिक योगदान करने लगे थे। मायावती ने इस मौके पर ‘मेरा संघर्षमय जीवन और बीएसपी मूवमेंट का सफरनामा- भाग 11’ के हिंदी और अंग्रेजी संस्करण का लोकार्पण किया।

मायावती ने कहा : मनुवादी मानसिकता रखने वाले लोग किसी दलित की बेटी को बड़े पद पर नहीं देखना चाहते। इसीलिए वे उन्हें दलित नहीं बल्कि दौलत की बेटी कह कर उनका दुष्प्रचार करते हैं। लेकिन इसका कोई असर नहीं होता है।