मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मस्थान-शाही ईदगाह स्थल (Sri Krishna Janmasthan-Shahi Idgah site) के सर्वेक्षण का एक अदालत के अधिकारी द्वारा आदेश दिया गया था। लेकिन इस आदेश के एक हफ्ते बाद मथुरा की एक अदालत ने इसपर रोक लगा दी। बुधवार को शाही ईदगाह मस्जिद प्रबंधन समिति और केंद्रीय वक्फ बोर्ड द्वारा आपत्ति दर्ज कराई गई थी, जिसके बाद इसपर रोक लगाई गई।

मस्जिद प्रबंधन समिति के सचिव अधिवक्ता तनवीर अहमद ने कहा, “हमने अदालत से आग्रह किया कि वह पहले मुकदमे की स्थिरता पर फैसला करे। अदालत ने अमीन द्वारा सर्वेक्षण के आदेश पर रोक लगा दी और अगली सुनवाई के लिए 11 अप्रैल की तारीख तय की है।” 29 मार्च को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने भी अदालत के अधिकारी को भूमि के स्वामित्व को चुनौती देने वाली हिंदू सेना द्वारा भगवान के नाम पर दायर एक नई याचिका पर सुनवाई के बाद 17 अप्रैल को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

अदालत ने 8 दिसंबर को इसी तरह का एक आदेश पारित किया था, जिसमें अदालत के अधिकारी को परिसर का निरीक्षण करने और नक्शे के साथ एक रिपोर्ट दर्ज करने के लिए कहा गया था। अदालत के अधिकारी को यह भी कहा गया कि 13.77 एकड़ की उस जगह का निरीक्षण करने से पहले सभी पक्षों को सूचित करें, जिस पर ईदगाह बनी है।

हालांकि कोर्ट के पिछले आदेश पर अदालत के अधिकारी द्वारा कोई कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई थी। देवता बाल कृष्ण के नाम पर एक विष्णु गुट्टा द्वारा दायर एक याचिका पर साइट के सर्वेक्षण का आदेश पारित किया गया था। शाही ईदगाह की प्रबंधन समिति ने जनवरी में याचिकाकर्ता के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाते हुए आपत्ति दर्ज कराई थी।

इससे पहले हिंदू याचिकाकर्ताओं ने उक्त भूमि के स्वामित्व के विवाद से संबंधित सभी मुकदमों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने की मांग की थी। पिछले महीने उच्च न्यायालय ने कहा कि मामले को अनावश्यक रूप से लंबा नहीं खींचा जाना चाहिए।

2020 में लखनऊ की एक वकील रंजना अग्निहोत्री (Ranjana Agnihotri) ने छह अन्य लोगों के साथ सिविल जज (सीनियर डिवीजन) के समक्ष याचिका दायर कर साइट परिसर से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की थी। याचिका कोर्ट में विचाराधीन है।