Maratha Reservation: महाराष्ट्र में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं और इससे पहले एक बार फिर मराठा आरक्षण का मुद्दा गर्म हो सकता है। इससे मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन कर चुके समाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने राज्य में सत्ताधारी गठबंधन यानी महायुति की मुख्य पार्टी बीजेपी से पूछा कि आखिर मराठा आरक्षण के मुद्दे पर उसका क्या रुख हैं। जरांगे ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने मराठा आरक्षण से जुड़ी सारी जिम्मेदारी विपक्षी दलों पर ही डाल दी है। 

मराठा आरक्षण को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे जालना में 20 जुलाई से अनशन पर बैठ गए हैं। उन्होंने कहा कि है कि वह मराठा आरक्षण के मुद्दे पर जिम्मेदारी विपक्षी दलों पर डाल रही है। वह उस मसौदा अधिसूचना के क्रियान्वयन के लिए अनशन कर रहे हैं, जिसमें कुनबियों को मराठा समुदाय के सदस्यों का रक्त संबंधी माना गया है।

वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल करने का लगाया आरोप

मनोज जरांगे ने कहा है कि मराठा कोटा पर विपक्षी दलों से उनका रुख क्यों पूछा जाता है? बीजेपी को स्पष्ट करना चाहिए कि मराठों को आरक्षण मिलने जा रहा है या नहीं। उन्होंने राज्य सरकार पर मराठा समुदाय की चिंताओं पर विचार किए बिना ‘वोट बैंक’ के तौर पर इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।

‘आंदोलनकारियों पर चलाई गोलियां’

जरांगे ने उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस के उस कदम की भी आलोचना कि जिसमें मराठा कोटा पर विपक्षी दलों से अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा गया है। उन्होंने पूछा कि सरकार दो साल से अधिक समय से सत्ता में है लेकिन मराठाओं को (ओबीसी श्रेणी के तहत) कोटा निर्धारित करने की बजाय उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं। वे कब तक आरक्षण पर यही आश्वासन देते रहेंगे?

गौरतलब है कि मनोज जरांगे को बीजेपी के ही MLC प्रसाद ने लाड ने प्रस्ताव दिया था कि वे राजनीति में आ जाए। इसको लेकर जरांगे ने कहा कि वह पिछले 10 महीनों से विरोध प्रदर्शन और संघर्ष कर रहे हैं लेकिन उन्हें राजनीति में प्रवेश करने में कोई दिलचस्पी ही नहीं है।

मनोज जरांगे ने कहा कि हम राजनीति में प्रवेश चाहते तो नहीं है लेकिन अगर मराठाओं को आरक्षण दिलाने में असफल हुए तो राजनीति में शामिल होना ही होगा। उनके पास अब कोई विकल्प नहीं बचा है।