दिल्ली और गुड़गांव में अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या प्रवासियों की पहचान के लिए वेरिफिकेशन ड्राइव चलाई जा रही है। यहां पर कुछ बंगाली भाषी लोगों को हिरासत में लिया गया है। इतना ही नहीं कथित तौर पर उनसे अपनी नागरिकता साबित करने को कहा गया है। वहीं नोएडा की प्रवासी बस्तियों में भी डर का माहौल पैदा हो गया है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, नोएडा के सेक्टर 93 ए के नारियल बेचने वाले बिनॉय ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, मैं कोलकाता से हूं और एक भारतीय हूं। बिनॉय की हिचकिचाहट बेबुनियाद नहीं है। मई में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक पत्र जारी किया था और राज्यों को निर्देश दिया वे भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को डिपोर्ट करने के लिए एसओपी तैयार करें।
देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यह अभियान पिछले साल दिसंबर में उपराज्यपाल सचिवालय के निर्देशों के बाद शुरू हुआ था। वहीं गुड़गांव में यह ड्राइव एक महीने पहले ही शुरू हुई है। सर्फाबाद की लिंक रोड के पास झुग्गियों में बंगाली और बिहारी प्रवासी एक साथ रहते हैं, उथल-पुथल साफ दिखाई दे रही है। कई घरों में ताले लगे हैं। लोगों का कहना है कि पूरे परिवार चले गए हैं, जबकि कुछ जाने की तैयारी में हैं। बैग पैक किए जा रहे हैं, बिस्तर बिछाए जा रहे हैं, बर्तन बेचे जा रहे हैं। यह सब कुछ जल्दी-जल्दी किया जा रहा है।
आज सुबह भी कई लोग झुग्गी से निकल गए- रुना
अपने पांच साल के बेटे के साथ रहने वाली रुना भी घर छोड़ने की तैयारी कर रही हैं। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘हमने अपना सामान घर भेज दिया है। जो कुछ बचा है, उसे पैक कर रही हूं। हमने कल रात के लिए ट्रेन टिकट बुक कर लिए हैं। आज सुबह भी कई लोग झुग्गी से निकल गए हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘मेरी मां पिछले एक साल से बीमार हैं। गुड़गांव की खबरें देखने और गुड़गांव से हमारे गांव वापस आए प्रवासियों से मिलने के बाद उन्हें बहुत चिंता है कि अगर नोएडा में भी ऐसा ही हुआ तो हमारी भी जांच की जाएगी।’
इतना ही नहीं उन्होंने दावा किया वे बांग्लादेशी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हम बस बांग्ला भाषी लोग हैं और हम जो बंगाली बोलते हैं और बांग्लादेशी जो बंगाली बोलते हैं, उनमें कुछ समानताएं हैं। लेकिन अगर उत्तर प्रदेश प्रशासन कोई अभियान चलाता है, तो उसे समझाना बहुत मुश्किल होगा।’ सर्फाबाद की मेन सड़क पर एक और झुग्गी बस्ती में ताले लगे हुए हैं।
लाल किले में जबरन घुसने की कोशिश कर रहे थे बांग्लादेशी
बंगालियों में डर का माहौल
बस्ती के अंदर एक दुकान चलाने वाले सोलेमान मिया ने माना, ‘वे घर वापस चले गए हैं। बंगालियों में डर है। दिल्ली में कई वेरिफिकेशन ड्राइव चलाई गई, हमें विधानसभा चुनाव से पहले से ही खबरें मिल रही हैं। लेकिन जय हिंद कैंप मामले के बाद से डर और बढ़ गया है। मैं और मेरा बेटा यहीं रह गए हैं, क्योंकि हमें कर्ज चुकाना है, जिसके लिए हमें कमाई जारी रखनी होगी। सुरक्षा के लिए, हमने परिवार के बाकी सदस्यों को वापस भेज दिया है।’
हाल ही में गुड़गांव में कई बंगाली भाषी लोगों को भी पुलिस ने वेरिफिकेशन ड्राईव के बाद हिरासत में लिया था। आधार कार्ड, पैन कार्ड, राशन कार्ड और यहां तक कि वोटर आईडी कार्ड दिखाने के बाद भी परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया था कि उनके परिवारवालों को हिरासत में लिया गया और संदिग्ध अवैध प्रवासियों को रखने वाले सेंटर में रखा गया। अपनी ओर से गुड़गांव पुलिस ने 26 जुलाई को एक बयान जारी किया था कि वे अपने वेरिफिकेश ड्राइव के तहत केवल बांग्लादेशियों को ही पकड़ रहे थे।
हम अपना काम नहीं छोड़ सकते – राजू
नोएडा के सेक्टर 78 में स्थानीय लोगों ने कहा कि कई परिवार हालात सामान्य होने पर वापस लौटने की उम्मीद कर रहे हैं। पास की एक सोसाइटी में काम करने वाली मुदीना ने कहा, ‘उन्होंने कहा है कि जब उन्हें फिर से सुरक्षित महसूस होगा, तब वे वापस आएंगे।’ सेक्टर 93ए में ज्यादातर झारखंड से आए कूड़ा बीनने वाले लोग रहते हैं। इनमें से कुछ बंगाली भाषी भी है। कबाड़ बीनने का काम करने वाले राजू ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘दो महीने पहले यहां एक वेरिफिकेशन ड्राइव चली थी। इससे कुछ लोग घबरा गए थे, लेकिन हममें से ज्यादातर यहीं रह रहे हैं। हम अपना काम नहीं छोड़ सकते।’ अवैध बांग्लादेशियों की पहचान के लिए दिल्ली में 16 हजार से अधिक बांग्ला भाषियों की हुई जांच