पश्चिम बंगाल सरकार ने मंगलवार को मनोज मालवीय को राज्य का अंतरिम पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नियुक्त किया। मालवीय 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। राज्य सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि निवर्तमान डीजीपी वीरेंद्र ने मंगलवार दोपहर में मालवीय को प्रभार सौंपा, जो राज्य के पूरे आईपीएस काडर में सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं। हालांकि मालवीय को ममता बनर्जी के पसंद का अधिकारी नहीं माना जाता रहा है।

केंद्र के पास लंबित है पस्ताव : नियमानुसार राज्य सरकार केंद्र की मंजूरी से राज्य पुलिस में नए डीजी की नियुक्ति करती है। इस महीने के मध्य में एक डीजी की नियुक्ति का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया था। इसके तहत छह नाम के प्रस्ताव भेजे गए थे। सूची में मनोज मालवीय, सुमन बाला साहू, नीरज नयन पांडे, अधीर शर्मा, गंगेश्वर सिंह और मुख्यमंत्री के सुरक्षा अधिकारी विवेक सहाय के नाम शामिल थे, लेकिन अंतिम समय तक केंद्र की मंजूरी नहीं मिलने के बाद राज्य सरकार ने अमित मालवीय को नया डीजीपी नियुक्त कर दिया है।

वैचारिक रूप से बीजेपी के करीब माने जाते हैं मालवीय: मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले मालवीय हिंदुत्व के विचारक माने जाने वाले मदन मोहन मालवीय के वंशज हैं। वैचारिक रूप से ऐसा माना जाता है कि उन्हें राज्य सरकार पसंद नहीं करती रही है। विधानसभा चुनाव के समय भी ऐसा माना जा रहा था कि अगर बीजेपी की सरकार बनती है तो मालवीय ही राज्य के अगले डीजीपी होंगे।

पहले भी रहे हैं विवादों में: सितंबर 2005 से मई 2010 के बीच, नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो में अतिरिक्त आयुक्त के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उनपर कई आरोप लगे थे। उस दौरान सीबीआई ने पाया था कि मालवीय ने अपनी आय के स्रोत से अधिक संपत्ति जमा कर रखी है। कथित तौर पर निजी फर्मों के अधिकारियों से उनपर फायदे उठाने का आरोप भी लगा था।

डीजीपी की नियुक्ति के लिए क्या है नियम?: देश में पुलिस सुधार की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि वो किसी भी पुलिस अधिकारी को कार्यवाहक डीजीपी के तौर फ नियुक्त न करें। डीजीपी या पुलिस कमिश्नर के पद पर सरकार जिसकी नियुक्ति करना चाहती है उसके नाम को पहले यूपीएससी को भेजे। इनमें से तीन नामों को शॉटलिस्ट कर यूपीएससी वापस राज्य सरकार को भेजेगा जिनमें से नए अधिकारी का चयन किया जा सकता है