रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने सोमवार (20 जून) कहा कि वह गोवा में प्राथमिक शिक्षा में शिक्षा का माध्यम मुद्दे को लेकर जारी विवाद में दखल नहीं देंगे। मंत्री ने सोमवार (20 जून) को गोवा में एक जल मल शोधन संयंत्र के उद्घाटन के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘मुख्यमंत्री (लक्ष्मीकांत पारसेकर) आंदोलनकारियों से बात करेंगे। यह मामला राज्य का है और मैं इसमें दखल नहीं दूंगा।’ राज्य में प्राथमिक शिक्षा में शिक्षा का माध्यम मुद्दा कई वर्ष से चला आ रहा है, कई संगठन अलग अलग भाषाओं का पक्ष लेते हैं।
भारतीय भाषा सुरक्षा मंच (बीबीएसएम) ने मांग की है कि राज्य की मातृभाषा कोंकणी को शिक्षा का माध्यम बनाया जाए। उन्होंने अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों को मिलने वाले अनुदान को वापस लेने की भी मांग की है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मुख्यमंत्री को बीबीएसएम से ज्ञापन मिला है, जिसमें उनकी मांगें सूचीबद्ध हैं। उन्हें यह फैसला लेना है कि वह उनसे कब मिलेंगे और कब इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘उन्हें इस समस्या का हल ढूंढना होगा। उन्हें आंदोलनकारियों से बात करनी होगी। इस मुद्दे पर फैसला करने वाला व्यक्ति मैं नहीं हूं।’ उन्होंने कहा कि उनकी भूमिका सिर्फ पार्टी स्तर तक सीमित है।
पर्रिकर ने कहा कि अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों को अनुदान पर रोक को छोड़कर भाजपा और बीबीएसएम के रुख परस्पर विरोधी नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘सरकार उन्हें दिया गया अनुदान वापस लेना चाहती है, लेकिन प्रशासनिक कारणों से वे ऐसा नहीं कर सकते।’ रक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि 2017 गोवा विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) का गठबंधन जारी रहेगा और सीट बंटवारे पर बाद में फैसला किया जाएगा। भाजपा और एमजीपी ने 2012 का राज्य विधानसभा चुनाव साथ में लड़ा था जिसमें भाजपा को 21 सीटें और एमजीपी को तीन सीटें मिली थीं।