भारत में कोरोनावायरस का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। रविवार को बिहार में कोरोना से संक्रमित एक व्यक्ति की मौत की खबर आई है। बताया गया है कि युवक बिहार के ही मुंगेर का रहने वाला था। वह कुछ दिन पहले कतर से लौटा था और संक्रमण की पहचान होने के बाद पटना स्थित एम्स में भर्ती थी। उसकी उम्र 38 साल बताई गई है। डॉक्टरों के मुताबिक, उसकी मौत की वजह किडनी फेल है।
इसी के साथ भारत में अब तक कोरोनावायरस से कुल मौतों की संख्या 6 हो गई है। वहीं, इससे संक्रमितों की संख्या 300 के पार जा चुकी है। बिहार में भी संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ी है। फिलहाल 504 संदिग्धों की पहचान कर उन्हें क्वारैंटाइन में रखा जा रहा है। कोरोना संक्रमण से एक और मरीज को पटना के एनएमसीएच में भर्ती किया गया है। वह स्काटलैंड से आया था। बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ना चिंता की बात है, क्योंकि देशभर में बिहार मूल के लाखों कर्मचारी और मजदूर काम करते हैं। इन सभी का दूसरे राज्यों से बिहार पहुंचना जारी है।
बिहार में क्यों है बीमारी फैलने का सबसे ज्यादा खतरा?
गरीबीः बिहार में पिछले साल ही एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) की वजह से सैकड़ों बच्चों की मौत हो गई थी। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित मुज्जफरपुर जिला रहा था। यहां मरने वाले ज्यादातर बच्चे 1 साल से लेकर 10 साल तक के थे। हालांकि, इनमें एक बात और समान थी। मरने वाले ज्यादातर बच्चे गरीब वर्ग के थे।
लापरवाहीः दूसरी परेशानी है बिहार प्रशासन की लापरवाही। पिछले साल एईएस के दौरान ही सबसे ज्यादा प्रभावित मुज्जरफरपुर में जब बच्चों की मौत शुरू हुई, तो प्रशासन देर से जागा। मुज्जफरपुर बिहार के दूर-दराज इलाकों से जुड़ा है। हालांकि, राजधानी पटना से जिले की दूरी महज 72 किमी. है। इसके बावजूद शासन और प्रशासन के ढीले रवैये की वजह से बच्चों की जान पर खतरा लगातार बढ़ता रहा। बाद में एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर जिले में मेडिकल टीम और जरूरी चिकित्सीय उपकरण भेजने की अपील की थी। हालांकि, बिहार में यह प्रशासनिक लापरवाही का पहला मामला नहीं था, इससे पहले 2008 और 2014 में भी एईएस से सैकड़ों बच्चों की मौत हुई थी। 2014 में 139 बच्चों की मौत के बाद उनमें कुपोषण को मौत की बड़ी वजह बताया गया था।
चिकित्सीय सुविधाओं में कमीः बिहार में चिकित्सीय सुविधाओं में कमी भी लोगों की मौत का बड़ा कारण है। 2018-19 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक आधिकारिक एजेंसी ने मुज्जफरपुर के ही 130 प्राइमरी हेल्थकेयर सेंटर्स को 5 में 0 रेटिंग दी थी। इसके अलावा करीब 98 स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर-नर्सों की कम से कम संख्या (एक मेडिकल ऑफिसर, दो नर्स और एक लेबर रूम) भी पूरी नहीं पाई गई थी।
शिक्षा और प्रति व्यक्ति आयः दूसरे राज्यों की तुलना में कम शिक्षा दर और प्रति व्यक्ति आय भी बिहार में महामारी फैलने और उसे नियंत्रित न किए जा पाने के कारण हैं। बिहार का जनसंख्या घनत्व भी देश में सबसे ज्यादा है। इसके अलावा शहरीकरण में राज्य काफी पीछे है। मानव विकास सूचकांक में भी बिहार बाकी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुकाबले काफी नीचे आता है।
इससे पहले शनिवार को ही मुंबई के एचएन रिलायंस हॉस्पिटल में भर्ती एक 63 साल के बुजुर्ग की मौत हो गई थी। यह देश में कोरोनावायरस से पांचवीं मौत थी, जबकि मुंबई में दूसरी। बताया गया है कि जान गंवाने वाले व्यक्ति को डायबिटीज के साथ हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारी भी थी। उन्हें सांस की समस्या के बाद वेंटिलेटर पर रखा गया था। मुंबई में पिछले हफ्ते 64 साल के एक बुजुर्ग की कस्तूरबा अस्पताल में मृत्यु हो गई थी।