बिहार विधानसभा की कार्यवाही में पहली बार मौजूद रहने के बाद युवा विधायक मैथिली ठाकुर का बयान पूरे दिन सुर्खियों में बना रहा। सदन के भीतर बिताए अपने पहले अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि इतने नजदीक से बहस सुनना उनके लिए सीख का बड़ा मौका साबित हुआ। हर शब्द पर ध्यान देने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि जिम्मेदारियों को निभाने के लिए अभी लगातार तैयारी और मेहनत की जरूरत है।
गुरुवार को आयोजित बैठक में शामिल होने के बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत की। आज की कार्यवाही में विपक्ष की प्रमुख आवाज माने जाने वाले तेजस्वी यादव गैरहाजिर रहे। इस पर मैथिली ने साफ कहा कि उनका सदन में होना आवश्यक था, क्योंकि बहस के दौरान ऐसा लग रहा था कि सामने से मजबूत तरीके से बात रखने वाला कोई नहीं है, जिसकी दलीलों का उनकी पार्टी के नेता जवाब दे पाते।
पहली बार सदन में बैठीं मैथिली ने बताया कि पूरा समय वह एक-एक बात पर नज़र गड़ाए रहीं। लोकगायिका से विधायक बनीं मैथिली के लिए यह जिम्मेदारी नई जरूर है, पर वह इसे बेहद गंभीरता से निभाना चाहती हैं।
मैथिली ने शुरुआत में ही तेजस्वी यादव पर अपनी प्रतिक्रिया रखी। उनका कहना था कि यदि विपक्ष का बड़ा नेता ही अनुपस्थित हो, तो बहस का संतुलन गड़बड़ा जाता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि वे चाहती थीं कि विपक्ष से किसी ठोस मुद्दे पर तीखी बहस हो, लेकिन ऐसा वातावरण बन नहीं पाया।
सदन की बहस को उन्होंने बताया सीखने की बड़ी जगह
वाद–विवाद के दौरान मिली सीख पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि टीवी पर देखने और सीधे सदन में बैठकर सुनने में बहुत फर्क होता है। आज पहली बार समझ आया कि प्रभावशाली तरीके से बोलने के लिए कितनी तैयारी, आत्मविश्वास और ठोस तर्कों की जरूरत होती है। वह इस पूरी प्रक्रिया को अपने लिए एक चुनौती के रूप में ले रही हैं।
अलीनगर को लेकर साफ रुख—नाम बदलने नहीं, विकास पर फोकस
अपने क्षेत्र अलीनगर के बारे में बात करते हुए मैथिली ने बताया कि चुनाव के दौरान उनसे ‘नाम बदलने’ जैसी बातें की गई थीं। इस पर उनका स्पष्ट कहना है कि वह इस तरह की राजनीति में विश्वास नहीं करतीं। उनका लक्ष्य अलीनगर को ऐसा विकसित क्षेत्र बनाना है जिसे लोग अपने आप मिसाल के रूप में लें, न कि नाम बदलने से चर्चा में आए।
युवा विधायक की अलग पहचान बनाने की इच्छा
उन्होंने कहा कि बिहार के सभी विधायकों के बीच वह अपनी अलग पहचान बनाना चाहती हैं। यदि उन्हें सबसे युवा विधायक कहा जा रहा है, तो वह चाहती हैं कि उनके काम से यह साबित हो कि असली मायने उम्र के नहीं, सोच और मेहनत के होते हैं। वह नए प्रयोगों और नए तरीकों से काम कर अपने क्षेत्र के लोगों को फायदा पहुंचाना चाहती हैं।
राजद की ओर से लगाए गए आरोपों का जिक्र करते हुए मैथिली ने बताया कि सरकार पर जब गरीबों के साथ अन्याय करने की बातें उठीं, तो सम्राट चौधरी ने बहुत शांत और विस्तार से जवाब दिया। उन्होंने समझाया कि सरकार का हर कदम गरीबों को लाभ देने के लिए है। मैथिली के मुताबिक, सदन में हुए इस जवाब से साफ हो गया कि सरकार अपने फैसलों को लेकर स्पष्ट और आत्मविश्वासी है।
उनका कहना था कि यह भी महसूस हुआ कि गलत काम करने वाले ही सुशासन से घबराते हैं – यह बात आज की बहस में काफी स्पष्ट दिखी।
मैथिली ने कहा कि विधानसभा का यह पूरा सत्र उनके राजनीतिक सफर का महत्वपूर्ण पड़ाव है। यहां आकर उन्हें समझ आया कि सरकार और विपक्ष के बीच तर्क-वितर्क किस तरह आगे बढ़ते हैं। वह अभी सीखने की प्रक्रिया में हैं और चाहती हैं कि हर दिन कुछ नया सीखकर अपने आपको मजबूत बनाएं।
अंत में उन्होंने कहा कि अलीनगर उनके लिए सिर्फ एक सीट नहीं बल्कि भरोसा है। वह लगातार जनता के बीच रहकर समस्याएं सुनने और समाधान खोजने का काम करने की योजना बना रही हैं। उनका साफ कहना है कि सही समय आने पर वह सदन में पूरी तैयारी के साथ बोलेंगी और यह साबित करेंगी कि एक युवा विधायक भी बदलाव की मजबूत आवाज बन सकता है।
