उद्धव ठाकरे ने सोमवार को ऐलान कर डाला कि सालाना दशहरा रैली तो शिवाजी पार्क में ही होगी। शिंदे सरकार पमिशन दे या नहीं, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। दरअसल शिवसेना शिवाजी पार्क में लंबे अर्से से दशहरा रैली का आयोजन करती आ रही है। रैली में शिवसेना संस्थापक बाला साहब ठाकरे जोरदार ढंग से अपने भाषण दिया करते थे। ये बात लोगों केस जहन में अभी भी है। यही वजह है कि उद्धव ने इसे प्रतिष्ठा की लड़ाई बना दिया है।

ध्यान रहे कि शनिवार को उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने कहा था कि शिवसेना की सालाना दशहरा रैली के आयोजन को लेकर दिए जा रहे प्रार्थनापत्र को अधिकारी स्वीकार नहीं कर रहे हैं। उसके बाद उद्धव ठाकरे ने कहा कि दशहरा रैली में शामिल होने के लिए विभिन्न हिस्सों से शिवसैनिक शिवाजी पार्क आने की तैयारी में जुट गए हैं। उन्होंने कहा कि शिवसेना का यह सालाना उत्सव शिवाजी पार्क में ही होगा।

एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद शिवसेना दो-फाड़ हो चुकी है। अलगाव के बाद से यह पहली बार है जब दशहरा रैली का आयोजन होने जा रहा है। इस साल दशहरा 5 अक्टूबर को मनाया जाएगा। उद्धव ठाकरे को पता है कि ये पर्व पिता की विरासत से जुड़ा है। उनके लिए शिवाजी पार्क में ही रैली करना कई माय़नों से अहम है। रैली की तो जोर बढ़ेगा। नहीं करने दी गई तो लोगों की सहानुभूति मिल सकती है।

शिवसेना में जिस तरह से बिखराव हुआ है उसके बाद उद्धव को अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए बीएमसी के साथ दशहरा रैली में मजबूती दिखानी होगी। जिस तरह से पार्टी टूटी वो उनको भौचक करने वाला था। लेकिन हाल ही में आदित्य की रैली में जिस तरह से लोगों ने रुचि दिखाई वो उद्धव को संजीवनी देने वाली है।

जून में उद्धव ठाकरे सरकार के गिरने के बाद शिवसेना के बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे सीएम और भाजपा के देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम बने हैं। इसके बाद से ही दोनों गुटों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो चला है। बीते दिनों विधानसभा सत्र के दौरान दोनों गुटों में हाथा-पाई तक की नौबत आ गई है।