महाराष्ट्र में मंगलवार को उस वक्त राजनीतिक तूफान आ गया, जब खबर आई कि महाराष्ट्र सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे 30 से अधिक विधायकों के साथ गुजरात के सूरत रवाना हो गए हैं। इसके बाद आनन-फानन में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने विधायकों के साथ बैठक की और एनसीपी प्रमुख शरद पवार से भी बात की। वहीं इंडियन एक्सप्रेस को सूत्रों ने बताया है कि शरद पवार ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को इस बगावत के लिए पहले ही आगाह कर दिया था।

जबकि एकनाथ शिंदे के विद्रोह के दो दिन पहले राज्य में कैबिनेट मंत्री और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे और शिवसेना सांसद संजय राउत के साथ पवई के रेनेसां होटल में शिंदे की तीखी बहस हुई थी, जहां शिवसेना के विधायकों को विधान परिषद चुनाव के लिए रखा गया था। पिछले कुछ महीनों से जिस तरह से सब कुछ चल रहा था, एकनाथ शिंदे उससे नाखुश थे और मुख्यमंत्री को भी इसके बारे में सचेत कर दिया गया था।

एक सूत्र ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “दो दिन पहले जब विधान परिषद चुनावों के लिए वोटों का उपयोग कैसे किया जाए, इस बारे में रेनेसां होटल में बातचीत हो रही थी, तब शिंदे की संजय राउत और आदित्य ठाकरे से असहमति थी। एकनाथ शिंदे कांग्रेस के उम्मीदवारों को एमएलसी के रूप में चुने जाने के लिए शिवसेना के विधायकों के वोटों का उपयोग करने के विचार में नहीं थे। बातचीत दोनों पक्षों के बीच तीखी नोकझोंक में बदल गई। अब पीछे मुड़कर देखें तो ऐसा लगता है कि विद्रोह के लिए यह एक निर्णायक घटनाक्रम हो सकता है।”

वहीं शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को शिवसेना और सत्तारूढ़ एमवीए के नेताओं के भीतर बढ़ती चिंता के बारे में चेतावनी दी थी और यहां तक ​​​​कि एक संभावित विद्रोह की ओर भी इशारा किया था। एक सूत्र ने बताया, “शरद पवार ने चार-पांच महीने पहले ही उद्धव ठाकरे को चेतावनी दी थी और उन्हें सलाह दी थी कि वे अपनी पार्टी के नेताओं और एमवीए के अन्य मंत्रियों से मिलना शुरू करें।”

शरद पवार ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की उपलब्धता को लेकर एमवीए नेताओं के बीच बढ़ती असहमति को भांप लिया था। उन्होंने ठाकरे को संभावित विद्रोह की चेतावनी भी दी थी लेकिन उद्धव ने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। सूत्र ने बताया कि कुछ मौकों पर शरद पवार को उद्धव ठाकरे से मिलने का समय नहीं मिला। शरद पवार सीएम की अनुपलब्धता से परेशान थे, जो पार्टियों में राजनीतिक नेताओं से मिलने के लिए समय नहीं निकाल रहे थे।”