महाराष्ट्र सरकार ने एक आदेश जारी कर राज्य पुलिस को राज्य के खुफिया विभाग (एसआईडी) से संवेदनशील कॉल रिकॉर्डिंग लीक होने से संबंधित एक मामले की जांच सीबीआई को ट्रांसफर करने का निर्देश दिया है। मुंबई पुलिस ने मामले की जांच के दौरान महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का बयान दर्ज किया था।

एक अन्य मामला जिसमें भाजपा नेता गिरीश महाजन और 28 अन्य पर जबरन वसूली और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया गया था, उसको भी सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया है। डीजीपी कार्यालय के सूत्रों ने शुक्रवार को इंडियन एक्सप्रेस से बताया कि मामला सीबीआई को सौंपा जा रहा है।

क्या है मामला?

मुंबई पुलिस ने मार्च 2021 में आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (ओएसए) के तहत अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। इसके कुछ दिनों बाद तत्कालीन विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन महाविकास अघाड़ी सरकार में नेताओं के साथ पैसे के बदले में प्लम पोस्टिंग के लिए आईपीएस अधिकारियों द्वारा लॉबिंग की गई थी।

उस समय देवेन्द्र फडणवीस ने कहा था कि उनके पास तत्कालीन एसआईडी कमिश्नर रश्मि शुक्ला द्वारा कथित तौर पर किए गए फोन टैपिंग से प्राप्त कॉल रिकॉर्ड का 6.3 जीबी डेटा है, जिसमें कई प्रमुख पुलिस अधिकारियों के नामों पर चर्चा की गई थी। कथित अपराध जनवरी 2018 से लेकर मामले के पंजीकरण के समय तक की अवधि में किया गया था।

वकील विजय पाटिल द्वारा दायर एक शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई थी, जो जलगांव में एक सहकारी शैक्षणिक संस्थान ‘जिला मराठा विद्या प्रसार सहकारी समाज’ के निदेशकों में से एक हैं। दिसंबर 2020 में जलगांव के निंभोरा पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था और जांच पुणे के कोथरुड पुलिस स्टेशन को सौंप दी गई थी।

एफआईआर के अनुसार सभी आरोपियों द्वारा आपराधिक साजिश के तहत विजय पाटिल को धमकी दी गई और इस्तीफा देने के लिए कहा गया था। विजय पाटिल ने आरोप लगाया था कि 2018 में पुणे के दौरे के दौरान उन्हें जबरन सदाशिव पेठ इलाके के एक फ्लैट में ले जाया गया, वहां बंद कर दिया गया और उनसे पैसे मांगे गए। साथ ही झूठे मामले में मुकदमा दर्ज करने की धमकी भी दी गई। विजय पाटिल ने जलगांव स्थित संस्थान पर नियंत्रण हासिल करने के लिए कुछ संदिग्धों द्वारा जालसाजी के आरोप भी लगाए थे।